दिल्ली में फर्जी सीबीआई गिरोह का भंडाफोड़, पुलिस ने 2.5 करोड़ की लूट का मामला सुलझाया

New Delhi, 22 अगस्त . दिल्ली पुलिस ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) अधिकारी बनकर लोगों को लूटने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस ने उनसे 1.25 करोड़ रुपए की नकदी बरामद की है. पकड़े गए आरोपियों में एक एनजीओ ‘क्राइम ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन’ की सचिव, एक सदस्य और निदेशक शामिल हैं.

20 अगस्त को गाजियाबाद के इंदिरापुरम निवासी मनप्रीत सिंह ने विवेक विहार थाने में एक लूटपाट की शिकायत दर्ज कराई. शिकायत में कहा गया कि वह वित्त, प्रॉपर्टी डीलिंग, कमीशन और निर्माण के व्यवसाय से जुड़े हैं और पिछले 6-7 महीनों में अपने कारोबार से 2.5 करोड़ रुपए कमाए थे, जो विवेक विहार स्थित किराए के मकान में रखे हुए थे.

19 अगस्त को उन्होंने अपने दोस्त रविशंकर को 1.10 करोड़ रुपये नकद अपने गाजियाबाद स्थित घर लाने के लिए कहा. रविशंकर जैसे ही पैसे लेकर घर से बाहर निकले, चार अज्ञात व्यक्तियों (जिनमें एक महिला भी शामिल थी) ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर उन्हें रोक लिया. वे वॉकी-टॉकी और ‘ब्यूरो’ लिखे पहचान पत्र दिखाकर रविशंकर को धमकाने लगे और जबरन रुपए से भरा बैग छीन लिया. इसके बाद वे मनप्रीत के घर में घुस गए, वहां मौजूद कर्मचारी दीपक माहेश्वरी के साथ मारपीट की और शेष रकम भी लूट ली. कुल मिलाकर गिरोह करीब 2.5 करोड़ रुपए लेकर फरार हो गया.

दिल्ली पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष टीम का गठन किया. जांच के दौरान 100 से अधिक सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए और तकनीकी निगरानी के जरिए दो अर्टिगा कारों की पहचान की गई, जिनका इस्तेमाल अपराध के दौरान किया गया था. गुप्त सूचना और तकनीकी निगरानी के आधार पर टीम ने फरीदाबाद से कारों के मालिक और चालकों का पता लगाया. इसके बाद आरोपियों की धरपकड़ शुरू हुई.

पुलिस ने पहले पापोरी बरुआ (उम्र 30, असम निवासी) और दीपक (उम्र 32, तुगलकाबाद निवासी) को गिरफ्तार किया.

पुलिस के मुताबिक, लूटपाट के लिए कार को साकेत मेट्रो स्टेशन के पास सैदुलाजाब में स्थित एक एनजीओ ने किराए पर लिया था. इसके बाद, पुलिस टीम साकेत मेट्रो स्टेशन के पास सैदुलाजाब में एनजीओ के कार्यालय में पहुंची, जिसका नाम अपराध जांच ब्यूरो था. यहां से पापोरी बरुआ और दीपक नाम के दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है. 30 वर्षीय पापोरी बरुआ असम का रहने वाला है और 32 वर्षीय दीपक दिल्ली के तुगलकाबाद का निवासी है. पुलिस ने पापोरी बरुआ के पास से 1.08 करोड़ रुपए, जबकि दीपक के पास से 17.50 लाख रुपए नकद बरामद किए.

दोनों आरोपियों से पूछताछ के बाद जांच आगे बढ़ाते हुए पुलिस एनजीओ के निदेशक तक पहुंच गई. 62 वर्षीय राम सिंह मीणा एनजीओ के निदेशक बने हुए थे. अन्य आरोपी पापोरी बरुआ एनजीओ की सचिव हैं और दीपक उस एनजीओ का मेंबर है. पूछताछ में पता चला कि कुल 4 महिलाओं और 4-5 व्यक्तियों ने मिलकर यह अपराध किया. फिलहाल, पुलिस ने बाकी आरोपियों की तलाश तेज कर दी है.

डीसीएच/डीएससी