भारतीय राजदूत ने अमेरिकी नेताओं से की मुलाकात, व्यापार और ऊर्जा सहयोग पर हुई चर्चा

वॉशिंगटन, 22 अगस्त . अमेरिका में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने अमेरिकी नेताओं से लगातार हो रही मुलाकातों के तहत रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर बिल हेगर्टी से भेंट की. इस दौरान उन्होंने द्विपक्षीय संवाद की प्रगति पर चर्चा की, जिसका उद्देश्य निष्पक्ष, संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापारिक साझेदारी सुनिश्चित करना है. दोनों पक्षों ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा और भारत-अमेरिका के बीच बढ़ते हाइड्रोकार्बन व्यापार पर भी विचार साझा किए.

क्वात्रा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “आज सीनेटर बिल हेगर्टी के साथ उपयोगी चर्चा हुई. भारत-अमेरिका साझेदारी के प्रति उनके निरंतर और मजबूत समर्थन के लिए आभारी हूं. निष्पक्ष और संतुलित व्यापारिक संबंधों पर जारी वार्ताओं की जानकारी दी. साथ ही, भारत की ऊर्जा सुरक्षा और हाइड्रोकार्बन व्यापार में वृद्धि पर भी विचार साझा किए.”

भारतीय राजदूत ने डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद ग्रेग लैंड्समैन से भी रचनात्मक बातचीत की. इस दौरान उन्होंने द्विपक्षीय व्यापार संवाद और ऊर्जा सुरक्षा पर हालिया प्रगति से उन्हें अवगत कराया.

Thursday को क्वात्रा ने हाउस आर्म्ड सर्विसेज डेमोक्रेट्स के रैंकिंग सदस्य एडम स्मिथ से भी बातचीत की. इस चर्चा में भारत-अमेरिका संबंधों में हालिया घटनाक्रमों और व्यापार, ऊर्जा तथा रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने पर स्पष्ट विचार साझा किए. उन्होंने कहा, “प्रतिनिधि एडम स्मिथ के साथ रोचक चर्चा हुई. भारत-अमेरिका रिश्तों और आपसी सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर उनके निरंतर समर्थन के लिए आभारी हूं.”

इसके अलावा, क्वात्रा ने अमेरिकी सांसद जोश गॉथहाइमर से भी मुलाकात की, जो हाउस इंटेलिजेंस कमेटी की नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी और साइबर उपसमिति के रैंकिंग सदस्य हैं. इस बैठक में द्विपक्षीय ऊर्जा सहयोग, खासकर तेल और गैस व्यापार तथा संतुलित और निष्पक्ष व्यापारिक संबंधों पर विचार साझा किए गए.

क्वात्रा की ये बैठकें ऐसे समय में हुई हैं जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस महीने की शुरुआत में भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ बढ़ोतरी की घोषणा की. ट्रंप ने भारत के रूस से लगातार कच्चा तेल आयात करने को इसका मुख्य कारण बताया. इससे पहले 20 जुलाई को 25 प्रतिशत का एक और टैरिफ लागू हो चुका है.

अमेरिकी कदम पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए भारत के विदेश मंत्रालय ने इसे “अनुचित, अन्यायपूर्ण और अव्यावहारिक” करार दिया. मंत्रालय ने कहा कि भारत की ऊर्जा जरूरतों और रणनीतिक स्वायत्तता का सम्मान किया जाना चाहिए.

डीएससी/