New Delhi, 21 अगस्त . भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने Thursday को कहा कि दक्षिण एशियाई देशों को स्वास्थ्य अनुसंधान और नवाचार को मजबूत करने के लिए आपसी सहयोग और साझेदारी बढ़ानी चाहिए.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित सुषमा स्वराज भवन में स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर) और आईसीएमआर द्वारा दो दिवसीय क्षेत्रीय बैठक की शुरुआत की गई. इस बैठक में नेपाल, श्रीलंका, भूटान और तिमोर-लेस्ते के वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल हुए. उन्होंने स्वास्थ्य अनुसंधान प्रणालियों को मजबूत करने, आपसी अनुभव साझा करने और दक्षिण व दक्षिण-पूर्व एशिया में सीमा पार सहयोग को बढ़ावा देने पर चर्चा की.
आईसीएमआर के महानिदेशक और डीएचआर सचिव डॉ. राजीव बहल ने कहा, “हमारे सामने आने वाली चुनौतियां समान हैं, इसलिए अब क्षेत्र को अपनी दिशा स्वयं तय करनी होगी.”
उन्होंने जोर दिया कि अनुसंधान ही आगे बढ़ने का रास्ता है और एक-दूसरे से सीखकर हम मजबूत स्वास्थ्य तंत्र विकसित कर सकते हैं तथा ऐसा ज्ञान उत्पन्न कर सकते हैं जो वास्तविक जरूरतों को दर्शाए और जन स्वास्थ्य में सुधार लाए.
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा, “इन देशों में हम जो प्रगति देख रहे हैं, वह स्वास्थ्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है. हमारे लिए एक-दूसरे से सीखने, अनुसंधान उत्पादों का सह-निर्माण करने और विज्ञान को क्रियान्वित करने की अपार संभावनाएं हैं. साथ मिलकर काम करके, हम पूरे क्षेत्र में सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में प्रगति को गति दे सकते हैं.”
यह बैठक दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया स्वास्थ्य अनुसंधान मंच की क्षेत्रीय पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देशों के बीच एकजुटता, ज्ञान-विनिमय और सहयोग को बढ़ावा देना है.
बैठक के दौरान प्रतिनिधियों ने एनीमिया, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, तपेदिक, वेक्टर जनित रोग और गैर-संचारी रोगों जैसी समस्याओं पर चर्चा की. साथ ही क्षमता निर्माण, बुनियादी ढांचे के विस्तार और क्षेत्रीय सहयोग के महत्व पर भी जोर दिया.
आने वाले दो दिनों में बैठक में शासन संरचना, अनुसंधान वित्तपोषण, प्राथमिकता तय करने की प्रणाली, पारदर्शिता और नैतिकता जैसे विषयों पर विचार-विमर्श होगा. इसके अलावा, चिकित्सा प्रौद्योगिकी नवाचारों को बढ़ावा देने, अनुसंधान को नीति और कार्यक्रमों से जोड़ने तथा विभिन्न क्षेत्रों और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ सहयोग को मजबूत करने की रणनीतियों पर भी चर्चा की जाएगी.
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जेपी/जीकेटी