New Delhi, 21 अगस्त . दक्षिण भारतीय सिनेमा हो या हिंदी सिनेमा, एक ऐसा अभिनेता जिसकी दहाड़ ने दर्शकों को कुर्सी पर ठिठक जाने पर मजबूर कर दिया. एक ऐसा अभिनेता जिसको गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने भारतीय फिल्म उद्योग में अभिनेता/नर्तक श्रेणी में सबसे सफल फिल्म स्टार के रूप में सम्मानित किया. जिनके पांव की थिरकन के साथ दर्शक दीर्घा में खड़े या फिर सिनेमा हॉल में पर्दे पर उनको देख रहे दर्शक खुद थिरकने लगते थे. लेकिन, जब इस अभिनेता ने राजनीतिक जमीन पर अपने पांव जमाने और जनता को थिरकाने की कोशिश की तो उनको आशातीत सफलता हासिल नहीं हो पाई.
मतलब सिनेमा के पर्दे के मेगास्टार राजनीति की पिच पर कमाल नहीं कर पाए. लेकिन, राजनीति में उनके पदार्पण ने एक समय पर क्षेत्रीय दलों की पेशानी पर चिंता की लकीरें जरूर खींच दी थी. हम बात कर रहे हैं साउथ सिनेमा के मेगास्टार चिरंजीवी की, जिन्होंने आंध्र प्रदेश की जमीन को अपनी राजनीतिक जन्मभूमि बनाई और ‘प्रजा राज्यम पार्टी’ (पीआरपी) की स्थापना की थी.
‘मेगास्टार चिरंजीवी’, जिनका वास्तविक नाम कोणिदेल शिव शंकर वर प्रसाद है, यह भी उनके चाहने वाले शायद ही जानते होंगे. सबसे सफल भारतीय सितारों में से एक चिरंजीवी ने सालों से हिंदी, तेलुगु, तमिल और कन्नड़ सिनेमा के पर्दे को अपनी कला से रोशन किया है. साल 1978 में ‘पुनाधिरल्लू’ से एक अभिनेता के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता चिरंजीवी को ‘रघुपति वेंकैया’ पुरस्कार, जो आंध्र प्रदेश में शीर्ष फिल्म सम्मान है, से पुरस्कृत किया जा चुका है. उनके पास तीन नंदी अवॉर्ड, नौ फिल्मफेयर अवॉर्ड साउथ और एक लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी है. साल 2006 में उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया.
चिरंजीवी की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाइए कि उनकी फिल्म ‘कोडामा सिम्हम’ (1990) अंग्रेजी भाषा में डब होने वाली पहली दक्षिण भारतीय फिल्म बनी, वहीं ऑस्कर पुरस्कार समारोह के लिए आमंत्रण पाने वाले चिरंजीवी पहले दक्षिण भारतीय अभिनेता थे. उन्होंने 45 साल के सिनेमाई करियर में 156 फिल्में कीं, जिसमें 537 गाने और 24,000 से ज्यादा डांस मूव्स की वजह से उन्हें गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की तरफ से सम्मानित किया गया. उनका सिनेमाई सफर पर्दे पर आज भी जारी है.
22 अगस्त 1955 को आंध्र प्रदेश के वेस्ट गोदावरी जिले के मोगलथुर में जन्मे कोणिदेल शिव शंकर वर प्रसाद (चिरंजीवी) के पिता कोनिडेला वेंकट राव एक कांस्टेबल थे. चिरंजीवी ने बचपन पैतृक गांव में अपने दादा-दादी के साथ ही बिताया, उनकी स्कूली शिक्षा निदादवोलु, गुराजाला, बापटला, पोन्नूर, मंगलागिरी और मोगलथुर में हुई. छोटी उम्र से ही उन्हें अभिनय में दिलचस्पी थी. इंटरमीडिएट करने के बाद चिरंजीवी चेन्नई चले गए और अभिनय में करियर बनाने के लिए 1976 में मद्रास फिल्म संस्थान पहुंच गए.
उनका राजनीतिक सफर काफी छोटा लेकिन यादगार रहा, जिसमें उन्होंने एक नई पार्टी की स्थापना की और केंद्रीय मंत्री का पद भी संभाला.
चिरंजीवी के राजनीतिक करियर की शुरुआत 26 अगस्त 2008 को हुई, तब उन्होंने आंध्र प्रदेश में ‘प्रजा राज्यम पार्टी’ (पीआरपी) नामक एक नई राजनीतिक पार्टी की स्थापना की. चिरंजीवी ने तिरुपति में एक विशाल रैली के दौरान अपनी पार्टी के गठन की घोषणा की, जिसका उद्देश्य सामाजिक न्याय और जनता की सेवा करना था. उस समय यह कहा जा रहा था कि चिरंजीवी आंध्र प्रदेश की राजनीति में एक मजबूत तीसरा विकल्प बन सकते हैं, जो कांग्रेस और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) को तगड़ी टक्कर देगा.
प्रजा राज्यम पार्टी ने 2009 के आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनावों में हिस्सा लिया. इन चुनावों में चिरंजीवी ने दो विधानसभा सीटों (तिरुपति और पालाकोल) से चुनाव लड़ा, जिनमें से उन्होंने तिरुपति सीट पर जीत हासिल की. मगर जितना कहा जा रहा था, उनकी पार्टी उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई. कुल 294 विधानसभा सीटों में से प्रजा राज्यम पार्टी सिर्फ 18 सीटें ही जीत सकी. पार्टी को लगभग 17 प्रतिशत वोट मिले. वहीं, Lok Sabha चुनाव में उसे कोई सीट नहीं मिल पाई.
राजनीतिक प्रदर्शन को देखते हुए, 2011 में चिरंजीवी ने अपनी पार्टी का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में विलय करने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि यह फैसला आंध्र प्रदेश के लोगों के हित में लिया गया था. इस विलय के बाद उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया गया.
साल 2012 में उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का जिम्मा दिया गया. उन्होंने इस पद पर 2014 तक अपनी सेवाएं दीं. हालांकि, 2013 में तेलंगाना राज्य के गठन के विरोध में उन्होंने अपना इस्तीफा भी दिया था, लेकिन बाद में उन्होंने इसे वापस ले लिया था.
2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद, चिरंजीवी ने धीरे-धीरे खुद को राजनीतिक गतिविधियों से दूर कर लिया और एक बार फिर से फिल्मों पर ध्यान केंद्रित किया. उनके छोटे भाई पवन कल्याण ने भी अपनी राजनीतिक पार्टी ‘जनसेना’ बनाई और चिरंजीवी ने सार्वजनिक रूप से उनका समर्थन भी किया है. चिरंजीवी ने फिलहाल फिल्मों पर ही अपना ध्यान केंद्रित कर रखा है.
राजनीति छोड़ने पर उन्होंने कहा था, “मैं जीवन भर राजनीति से दूर रहूंगा और सिनेमा के करीब रहूंगा. कुछ लोगों को शक है कि मैं ताकतवर लोगों के करीब जा रहा हूं, मैं उस रास्ते पर नहीं जाऊंगा. पवन कल्याण मेरी सोच और मिशन, ‘राजनीति में सेवा,’ को पूरा करने के लिए हैं.”
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जेपी/एबीएम