मॉस्को, 21 अगस्त . विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने Thursday को रूस की राजधानी मॉस्को में अपने समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात के दौरान कहा कि India और रूस का साझा लक्ष्य आपसी रिश्तों में ‘अधिकतम पूरकता’ हासिल करना है. उन्होंने भरोसा जताया कि उनकी चर्चाएं सार्थक रहीं और इस वर्ष के अंत में होने वाले Prime Minister Narendra Modi और President व्लादिमीर पुतिन के शिखर सम्मेलन को अधिकतम परिणामोन्मुख बनाएंगी.
जयशंकर ने कहा, “आज की बैठक हमें Political रिश्तों पर चर्चा करने का अवसर देती है, साथ ही व्यापार, आर्थिक निवेश, रक्षा, विज्ञान-तकनीक और जन-से-जन संपर्क जैसे द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा का भी. पिछले वर्ष हमारे नेताओं की 22वीं वार्षिक शिखर सम्मेलन और फिर कजान में मुलाकात हुई थी. अब हम इस साल के अंत में होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रहे हैं.”
उन्होंने बताया कि Wednesday को रूस के उप Prime Minister डेनिस मंटुरोव के साथ अंतर-Governmentी आयोग की बैठक बहुत उपयोगी रही और कई मुद्दों पर समाधान निकाले गए. उन्होंने कहा, “अब मैं चाहता हूं कि उन चर्चाओं को आगे बढ़ाया जाए ताकि वार्षिक शिखर सम्मेलन में अधिकतम परिणाम हासिल किए जा सकें.”
विदेश मंत्री ने हाल ही में हुई अन्य उच्चस्तरीय बैठकों का भी उल्लेख किया, जिनमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, रेल और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव तथा नीति आयोग प्रमुख सुमन बेरी की मॉस्को यात्राएं शामिल हैं. उन्होंने कहा कि बदलते भू-Political हालात और वैश्विक व्यापारिक परिदृश्य के बीच भारत-रूस रिश्तों की निकटता और गहराई स्पष्ट झलकती है.
जयशंकर ने लावरोव का गर्मजोशी से स्वागत किया और मेहमाननवाजी के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक सहित विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर उनकी नियमित मुलाकातों ने दोनों देशों के बीच सतत संपर्क बनाए रखने में मदद की है.
Wednesday को जयशंकर ने मॉस्को में 26वें भारत-रूस अंतर-Governmentी आयोग (आईआरआईजीसी-टीईसी) की सह-अध्यक्षता भी की. इसके बाद उन्होंने एक्स पर लिखा, “भारत-रूस बिजनेस फोरम में शामिल होकर खुशी हुई. हमारे आर्थिक संबंधों की गहराई पर विभिन्न क्षेत्रों के नेताओं की राय और आकलन उपयोगी रहे.”
उन्होंने कहा, “किसी भी स्थायी रणनीतिक साझेदारी में मजबूत और टिकाऊ आर्थिक आधार जरूरी है. इस संदर्भ में मैंने हमारे कारोबारियों से अधिक व्यापार करने, नए निवेश और संयुक्त उपक्रमों पर विचार करने तथा आर्थिक सहयोग के नए क्षेत्र तलाशने का आह्वान किया.”
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डीएससी/