New Delhi, 21 अगस्त . संसद के मानसून सत्र का अंतिम दिन था. इस बार मानसून सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया. इस बीच केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष होना चाहिए. विरोध करना या असहमति जताना अपनी बात कहने का लोकतांत्रिक तरीका है, लेकिन संसद में सरकार के काम में बाधा डालना और उसे रोकना अलोकतांत्रिक है.
किरेन रिजिजू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि सरकार की दृष्टि से देश के लिए बहुत उपयोगी सत्र रहा है, लेकिन विपक्ष के सांसदों को, खासकर नए सांसदों को, सदन में बोलने का मौका नहीं मिला. सत्र के दौरान सांसद अपने Lok Sabha क्षेत्र की बात रखते हैं, लेकिन विपक्ष के कई सांसदों को बोलने का मौका नहीं मिला, उसके लिए विपक्ष के नेता जिम्मेदार हैं. एनडीए और कुछ दल, जिन्होंने सत्र में भाग लिया, उन्हें धन्यवाद.
उन्होंने कहा कि एक बात मेरे मन में चोट पहुंचाती है. कैप्टन शुभांशु शुक्ला पर चर्चा रखी गई थी, लेकिन विपक्ष ने चर्चा नहीं करने दी, जिसका दुख है. कई बिल पास किए हैं, कुछ बिल संयुक्त संसदीय समिति को भेजे गए हैं. उनमें तीन बिल महत्वपूर्ण हैं, जिनमें गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025, 130वां संविधान संशोधन बिल 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025 शामिल हैं. ये ऐसे बिल हैं, जिनमें आजादी के बाद पहली बार प्रधानमंत्री को रखा गया है. लोग खुद को बचाने के लिए कानून बनाते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है.
किरेन रिजिजू ने कहा कि विपक्ष के लोगों ने भ्रम फैलाने की कोशिश की. इस बिल के लिए देशभर में स्वागत हो रहा है. मेरे पास कई संदेश आए.
उन्होंने कहा कि विरोध तो होता है, लोकतंत्र में विरोध होना भी चाहिए, पक्ष और विपक्ष मिलकर संसद बनते हैं, लेकिन संसद के कामकाज में बाधा डालना ठीक नहीं है. हमारी पार्टी जीवन भर विपक्ष में रही, थोड़े समय तक सत्ता में है. हमने हमेशा विपक्ष में रहते हुए ये ध्यान रखा कि विरोध से किसी को चोट न लगे और न ही सीमा लांघे. देश के खिलाफ बात करके, इलेक्शन कमीशन को गाली देकर, Supreme court के खिलाफ बात करके आप लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं.
–
डीकेपी/