उत्पादों के लिए केवल अमेरिका पर निर्भर रहने के बजाय वैकल्पिक बाजारों की हो पहचान : एपी चैंबर्स के अध्यक्ष

New Delhi, 21 अगस्त . अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को लेकर आंध्र प्रदेश चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री फेडरेशन (एपीसीसीआईएफ) के अध्यक्ष पोटलुरी भास्कर राव ने Thursday को कहा कि जलीय उत्पाद, खाद्य प्रसंस्करण, चावल जैसी कृषि वस्तुएं, हथकरघा, हस्तशिल्प और ऑटो कंपोनेंट जैसे सेक्टर हमारे राज्य में सबसे अधिक प्रभावित हैं.

राव ने न्यूज एजेंसी से कहा, “हम राज्य और केंद्र दोनों सरकारों से अनुरोध करते हैं कि ब्याज अनुदान योजना के लिए पैरवी करें और इन उद्योगों को अतिरिक्त कार्यशील पूंजी सीमा प्रदान करें. साथ ही, इन उत्पादों के लिए केवल अमेरिका पर निर्भर रहने के बजाय वैकल्पिक बाजारों की पहचान करें.”

उन्होंने कई देशों के साथ हस्ताक्षरित विभिन्न मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के तहत निर्यात की संभावनाएं तलाशे जाने की जरूरत पर जोर दिया ताकि इन उत्पादों को तुरंत उन बाजारों में भेजा जा सके और उद्योग जीवित रह सकें.

उन्होंने वर्तमान वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच एमएसएमई क्षेत्र को लेकर चिंता व्यक्त की.

राव ने जानकारी देते हुए बताया, “आज, हमने State government से जुड़ी वर्तमान समस्याओं और राज्य के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को समझने के लिए बैठक की. राज्य स्तर पर, हमने सर्वसम्मति से State government से अनुरोध किया है कि वह पिछले पांच-छह वर्षों से विभिन्न क्षेत्रों के लिए पेंडिंग लगभग 5,000 करोड़ की राशि के सभी पेंडिंग प्रोत्साहनों को तुरंत जारी करे.”

राव ने कहा, “हमने State government से राज्य में विशेष रूप से एनओसी के संबंध में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस मानदंडों को सरल बनाने का अनुरोध किया है. वर्तमान में, अधिकांश विभाग वार्षिक एनओसी पर जोर देते हैं. हम अनुरोध करते हैं कि पांच वर्ष में एक बार एनओसी लेना अनिवार्य हो और वार्षिक आधार पर स्व-प्रमाणन भी हो.”

उन्होंने कहा कि इसी तरह, बिजली और प्रदूषण नियंत्रण जैसे क्षेत्रों में, मानदंड पुराने हो चुके हैं और दशकों पुराने नियमों पर आधारित हैं. सरकार को वर्तमान तकनीकी प्रगति के अनुरूप इनकी समीक्षा और अद्यतन करना चाहिए, ताकि कार्यान्वयन आसान हो सके.

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