जावेद अख्तर ने बताया कि उन्होंने शोले के जरिए पर्दे पर कैसे दोस्ती के पुराने मानदंडों को तोड़ा

Mumbai , 19 अगस्त . शोले को रिलीज हुए पूरे 50 साल हो गए हैं. इस फिल्म से जुड़ी बातें अब लोगों के सामने आ रही हैं. इसी सिलसिले में मशहूर लेखक जावेद अख्तर ने फिल्म ‘शोले’ में जय और वीरू की दोस्ती के बारे में खुलकर बात की है. उन्होंने बताया कि कैसे इसके जरिये उन्होंने पर्दे पर दिखने वाले दोस्ती के पुराने मानदंडों को तोड़ा.

जावेद अख्तर ने सिंगर सोनू निगम से बात करते हुए याद किया कि कैसे उन्होंने और उनके साथी सलीम खान ने दोनों मुख्य पात्रों के चरित्र को गठित किया. उन्होंने कहा कि इस फिल्म ने सिनेमाई दोस्ती का एक अलग ही चलन स्थापित किया और उस समय के सभी प्रचलित मानदंडों को तोड़ दिया.

उन्होंने सोनू से कहा, “अगर आप शोले से पहले की फिल्में देखें, जिनमें लड़कों की दोस्ती होती थी, तो उनमें कुछ बहुत ही मीठी बातें होती थीं. एक दोस्त दूसरे दोस्त से कहता है, ‘अगर मैं तुम्हारी जान मांग लूं, तो तुम क्या करोगे?’ ऐसे ही संवाद थे. इस तस्वीर में आप जिन सबसे अच्छे दोस्तों को देख रहे हैं, उन्होंने दोस्ती के बारे में कोई बात नहीं की.”

उन्होंने आगे बताया कि जय और वीरू दोनों एक-दूसरे को मुसीबत में भी डाल देते थे, जिससे उनकी दोस्ती का असली सार सामने आता है. इसका एक उदाहरण तब है जब जय (अमिताभ बच्चन) अपने दोस्त जय (धर्मेंद्र) के लिए बसंती की मौसी से बसंती का हाथ मांगने जाते हैं.

इस फिल्म में दोनों की दोस्ती अलग और हटकर थी. इसमें वो एक-दूसरे की टांग खींचते हैं, मजाक करते हैं, और एक-दूसरे के सामने दिखावा करते हैं, जैसा कि असल जिंदगी में होता है. वो दोनों ज्यादा बात नहीं करते, लेकिन जरूरत पड़ने पर एक-दूसरे के साथ खड़े रहते हैं. इसी दोस्ती को हमने फिल्म के गाने ‘ये दोस्ती’ में पिरोया है.

जेपी/जीकेटी