पटना, 19 अगस्त . बिहार के सहरसा जिले की सोनबरसा विधानसभा सीट (अनुसूचित जाति आरक्षित) प्रदेश की राजनीति में एक अहम स्थान रखती है. यह मधेपुरा Lok Sabha क्षेत्र के अंतर्गत आती है और सोनबरसा, पतरघट तथा बनमा ईटहरी प्रखंडों को मिलाकर बनी है. ऐतिहासिक दृष्टि से देखें तो यह क्षेत्र कभी अंगुत्तरप राज्य का हिस्सा था, जो वैशाली महाजनपद के निकट स्थित था.
मौर्यकालीन स्तंभ यहां की ऐतिहासिक धरोहर हैं, जबकि विराटपुर गांव में खुदाई से बौद्ध कालीन अवशेष भी मिले हैं. मान्यता है कि महाभारत काल में पांडवों के अज्ञातवास के दौरान यह इलाका उनके मार्ग में आया था. सोनबरसा का चंडिका स्थान बिराटपुर देवी चंडी के प्राचीन मंदिर के कारण प्रसिद्ध है, जो महिषी के तारा मंदिर और धमारा घाट के कात्यायनी मंदिर के साथ मिलकर एक शक्ति-त्रिभुज बनाता है.
भौगोलिक दृष्टि से यह क्षेत्र उपजाऊ और समतल भूमि वाला है, जहां साल में तीन फसल चक्र संभव हैं. धान और गेहूं प्रमुख फसलें हैं, वहीं आम, केला और अमरूद के बागान भी यहां बड़े पैमाने पर पाए जाते हैं. लेकिन हर साल कोसी नदी की बाढ़ इस क्षेत्र की खुशहाली को अस्थायी बना देती है. बाढ़ के कारण जानमाल की क्षति होती है और बीमारियां फैलती हैं, जिनसे निपटने में स्थानीय चिकित्सा व्यवस्था नाकाफी साबित होती है.
राजनीतिक दृष्टि से देखें तो सोनबरसा विधानसभा 1951 से अस्तित्व में है और अब तक 17 चुनाव देख चुकी है. कांग्रेस ने यहां चार बार जीत दर्ज की है, जबकि राजद और जदयू तीन-तीन बार, जनता दल ने दो बार और लोकदल, संयुक्त समाजवादी पार्टी व निर्दलीय प्रत्याशियों ने एक-एक बार जीत हासिल की है. 1985 में लोकदल के टिकट पर बिहार के पूर्व Chief Minister कर्पूरी ठाकुर यहां से विधायक बने थे.
2008 में परिसीमन के बाद यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दी गई. इसके बाद 2000 और 2005 में राजद के रामचंद्र पुर्वे ने जीत दर्ज की, जबकि 2010, 2015 और 2020 में जदयू के रत्नेश सदा ने लगातार तीन बार विजय हासिल की. हालांकि उनकी जीत का अंतर घटता-बढ़ता रहा. 2010 में जहां वे 31,445 वोटों से जीते थे, वहीं 2015 में यह अंतर बढ़कर 53,763 हो गया, लेकिन 2020 में घटकर 13,466 पर सिमट गया. माना जाता है कि लोजपा की 8.1 फीसदी वोट हिस्सेदारी ने एनडीए के वोटों को प्रभावित किया.
सोनबरसा विधानसभा में जदयू की पकड़ केवल विधानसभा चुनावों तक सीमित नहीं रही है. 2009 से अब तक हुए हर Lok Sabha चुनाव में, सिवाय 2015 के, जदयू को यहां बढ़त मिली है. 2024 के Lok Sabha चुनाव में भी पार्टी ने बढ़त दर्ज की. चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, इस क्षेत्र की कुल जनसंख्या 5,44,751 है. कुल 3,18,427 मतदाताओं में 1,64,828 पुरुष, 1,53,595 महिलाएं और 4 थर्ड जेंडर मतदाता हैं.
2025 का समीकरण देखें तो सोनबरसा का रण काफी दिलचस्प होने वाला है. जदयू तीन बार की जीत और Lok Sabha में हालिया बढ़त के आधार पर मजबूत स्थिति में है, जबकि राजद 2000 और 2005 की जीत को आधार बनाकर फिर से अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है. लोजपा, जिसने पिछले चुनाव में वोटकटवा की भूमिका निभाई थी, इस बार मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकती है. कांग्रेस का यहां पुराना आधार रहा है, लेकिन हालिया वर्षों में संगठनात्मक कमजोरी साफ झलकती है.
जनता का रुख देखें तो बाढ़ नियंत्रण, रोजगार, स्वास्थ्य सुविधाओं और सड़क व्यवस्था यहां के प्रमुख मुद्दे हैं. युवा वर्ग विकास की ओर उम्मीद लगाए बैठा है, जबकि महिलाएं भी अपने मतों से निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं. कुल मिलाकर, सोनबरसा की 2025 की लड़ाई एकतरफा नहीं होगी. यह सीट पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए रणनीतिक महत्व रखती है.
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पीएसके/केआर