द्वीप से दिल्ली: सेना प्रमुख ने अंडमान-निकोबार के जनजातीय छात्रों को किया प्रेरित

New Delhi, 18 अगस्त . अंडमान-निकोबार के जनजातीय छात्रों ने Monday को दिल्ली में भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी से मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान सेना प्रमुख ने छात्रों की उपलब्धियों की सराहना की.

सेनाध्यक्ष ने छात्रों को जीवन में निरंतर उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए समर्पण और मेहनत के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा दी. दरअसल नेशनल इंटीग्रेशन टूर–“द्वीप से दिल्ली” के अंतर्गत अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के जनजातीय समुदायों से आने वाले कुल 30 प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं ने सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी से यह मुलाकात की है. छात्रों से हुई इस मुलाकात में सेना प्रमुख ने अंडमान एवं निकोबार कमांड के प्रयासों की भी प्रशंसा की.

सेना की यह कमांड द्वीपों के युवाओं को सशक्त बना रही है और उन्हें राष्ट्र की व्यापक संभावनाओं से जोड़ रही है. यह छात्र दल करेन और निकोबारी समुदायों से है. दिल्ली में इनका प्रतिनिधित्व यहां से आए लड़के और लड़कियां समान रूप से कर रहे हैं. करेन समुदाय, जो एक शताब्दी पूर्व यहां आया था, अपनी शिल्पकला, लोक परंपराओं और जीवन कौशल के लिए जाना जाता है. वहीं निकोबारी समुदाय मातृसत्तात्मक सामाजिक व्यवस्था, बागवानी कौशल और रंगारंग उत्सवों के लिए प्रसिद्ध है.

सेनाध्यक्ष से मुलाकात करने वाले छात्रों में कई उल्लेखनीय प्रतिभाएं भी शामिल हैं. इनमें से एक कक्षा 11 की छात्रा नॉ असना शोलमोन लेखन के प्रति जुनून रखती हैं. उन्होंने बताया कि वह अंग्रेजी शिक्षिका बनने का सपना देखती हैं. वहीं, एक अन्य छात्र, मेबॉय स्वीडन क्रिश्चियन, ने फुटबॉल में राष्ट्रीय स्तर पर अंडमान एवं निकोबार का प्रतिनिधित्व किया है. किरेन समुदाय से आने वाला यह छात्र भारत का एक पेशेवर खिलाड़ी बनने का सपना रखता है.

वहीं, मास्टर ए. शिनु ने बताया कि वह भारतीय सेना में शामिल होना चाहते हैं और अपनी संस्कृति तथा राष्ट्रीय गौरव से प्रेरित हैं. “द्वीप से दिल्ली” यात्रा के दौरान छात्र लाल किला, इंडिया गेट, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक और ताजमहल जैसे ऐतिहासिक धरोहर स्थलों का भ्रमण करेंगे. इस पहल का उद्देश्य इन छात्रों को भारत की सांस्कृतिक विरासत और ‘एकता में विविधता’ की भावना से जोड़ना है. यह कार्यक्रम न केवल दूरदराज के द्वीपों को राष्ट्रीय मुख्यधारा से जोड़ने का प्रतीक है बल्कि इस विश्वास को भी मजबूत करता है कि विकसित भारत 2047 के निर्माण में हर नागरिक की अहम भूमिका है.

जीसीबी/डीएससी