New Delhi, 17 अगस्त . गीतिका जाखड़ को भारतीय महिला कुश्ती की अग्रणी खिलाड़ियों में गिना जाता है. हरियाणा से ताल्लुक रखने वाली गीतिका एशियाई गेम्स और कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में देश को कई पदक दिला चुकी हैं.
18 अगस्त 1985 को हिसार में जन्मीं गीतिका को कुश्ती विरासत में मिली. गीतिका ने दादा चौधरी अमरचंद जाखड़ से रेसलिंग के गुर सीखे, जो अपने जमाने के मशहूर पहलवान रहे.
गीतिका ने एथलेटिक्स से शुरुआत की थी, लेकिन जब लड़कियों को कुश्ती करते देखा, तो रेसलर बनने की ठान ली.
गीतिका ने महज 13 साल की उम्र में कुश्ती खेलना शुरू कर दिया था. महज 15 साल की उम्र में वह ‘भारत केसरी’ का खिताब जीत चुकी थीं. इसके बाद लगातार 9 वर्षों तक गीतिका ने इस खिताब पर कब्जा किया.
गीतिका ने 2003 और 2005 कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीते. इसके बाद साल 2007 में सिल्वर मेडल अपने नाम किया.
साल 2006 के एशियन गेम्स में सिल्वर जीतने के बाद गीतिका ने 2014 में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. साल 2007 में नेशनल गेम्स और सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली गीतिका को साल 2009 में ‘कल्पना चावला उत्कृष्टता पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था.
साल 2010 में गीतिका गंभीर रूप से चोटिल हुईं. ऐसा लगा कि यहीं से उनका करियर खत्म हो जाएगा, लेकिन भारत की शेरनी हार मानने को तैयार नहीं थी.
गीतिका शानदार कमबैक करते हुए साल 2011 में नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने वाली सबसे युवा महिला पहलवान बनीं.
सन 2014 के ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीतने के बाद उसी साल उन्होंने इंचियोन एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया.
कुश्ती में शानदार उपलब्धि के लिए गीतिका को साल 2006 में ‘अर्जुन अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया था. उनकी मेहनत और संघर्ष ने महिला पहलवानों के लिए नए रास्ते खोले हैं.
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आरएसजी