‘वोटर अधिकार यात्रा’ लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई: राशिद अल्वी

New Delhi, 17 अगस्त . बिहार के सासाराम में Lok Sabha में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में Sunday को शुरू हुई वोटर अधिकार यात्रा को कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने बड़ी लड़ाई करार दिया है. कांग्रेस नेता ने कहा कि सासाराम में लोकतंत्र को बचाने के लिए शुरू हुई यात्रा में सभी विपक्षी दल एक साथ आए हैं.

से बातचीत में उन्होंने कहा कि ‘वोटर अधिकार यात्रा’ का उद्देश्य मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत कथित तौर पर 65 लाख वोटरों के साथ हुए अन्याय को उजागर करना और लोकतंत्र की रक्षा करना है. उन्होंने इसे न केवल कांग्रेस की लड़ाई, बल्कि पूरे देश की लड़ाई बताया, जिसमें सभी देशवासियों और विपक्षी दलों को एकजुट होने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि यह यात्रा लोकतंत्र पर हो रहे हमले के खिलाफ है. यह यात्रा 16 दिनों तक चलेगी, जिसमें राहुल गांधी और इंडिया ब्लॉक के नेता, जैसे तेजस्वी यादव, मिलकर 1300 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे. 16 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा का समापन 1 सितंबर को पटना में एक विशाल रैली के साथ होगा.

अल्वी ने चेतावनी दी कि यदि बिहार में एसआईआर लागू होता रहा तो यह लोकतंत्र को खत्म कर सकता है और चुनावों का कोई मतलब नहीं रह जाएगा.

चुनाव आयोग की प्रेस वार्ता पर उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि आयोग भाजपा और इनकी गठबंधन वाली सरकार के साथ खड़ा है.

लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी की ओर से संघ की तारीफ किए जाने पर कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि पीएम मोदी ने जिस लाल किले से भाषण दिया, वह मुगलों के द्वारा बनाया गया, जिन्हें भाजपा के नेता सुबह-शाम गाली देने से गुरेज नहीं करते हैं.

राशिद अल्वी ने कहा कि पीएम मोदी को लाल किले से संघ की तारीफ नहीं करनी चाहिए थी.

एनसीईआरटी के मॉड्यूल पर उन्होंने कहा कि भारत के विभाजन के लिए जवाहरलाल नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना, और लॉर्ड माउंटबेटन को जिम्मेदार ठहराया गया. लेकिन, इस मॉड्यूल में महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका को नजरअंदाज किया गया. इनका नाम क्यों नहीं लिया जाता है? विभाजन के वक्त संघ की क्या भूमिका थी, इस पर चर्चा क्यों नहीं होती?

कांग्रेस नेता के अनुसार, बंटवारे के दौरान मौलाना अबुल कलाम आजाद ने विभाजन का विरोध किया था.

डीकेएम/एएस