Mumbai , 16 अगस्त . विपक्षी दलों ने संघ की विचारधारा को संविधान विरोधी बताकर Prime Minister Narendra Modi पर निशाना साधा. वहीं भाजपा और आरएसएस ने संघ की राष्ट्रसेवा की भावना और राष्ट्र के निर्माण में संस्था के ऐतिहासिक योगदान को सामने रखा. ऐसे में संघ को लेकर शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की.
उन्होंने से बातचीत के दौरान कहा कि राष्ट्रीय पर्व पर Prime Minister को एकता और समरसता का संदेश देना चाहिए.
आनंद दुबे ने कहा कि Prime Minister Narendra Modi के शब्दों में गरिमा होनी चाहिए क्योंकि वे पूरे देश के Prime Minister हैं, किसी एक दल के नहीं. विपक्षी दल भी उनके लिए समान हैं. जब वह भाजपा के मंच पर जाते हैं तो पार्टी नेता होते हैं, लेकिन लाल किले से Prime Minister के रूप में राष्ट्र को संबोधित करते हैं. ऐसे अवसरों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्व पर Prime Minister को भाईचारा, एकता और समरसता का संदेश देना चाहिए. राजनीति के लिए वर्ष के अन्य दिन पर्याप्त हैं, लेकिन राष्ट्रीय दिवस पर राजनीति अनुचित है.
आनंद दुबे ने कहा कि Prime Minister मोदी के भाषण में विपक्ष ने सबकुछ सुना, यहां तक की आरएसएस की प्रशंसा भी. उन्होंने कहा कि इसमें किसी को आपत्ति नहीं है क्योंकि Prime Minister स्वयं आरएसएस से जुड़े रहे हैं, इसलिए वह उसकी तारीफ करेंगे, यह स्वाभाविक है. आरएसएस Political संगठन न होकर सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन है, ऐसा वह खुद कहता है. लेकिन, समस्या तब है जब Prime Minister देश के असली मुद्दों पर चुप रहते हैं. जनता ने अच्छे दिनों के लिए वोट दिया था, लेकिन आज भी सड़कों की हालत खराब है, पानी-बिजली की समस्या बनी हुई है.
उन्होंने Prime Minister Narendra Modi के GST सुधार वाले बयान पर तंज कसते हुए कहा कि वह पिछले 11 साल से Prime Minister हैं और उन्होंने कई बड़े वादे किए थे. पीएम मोदी ने हजारों बार अच्छे दिन लाने की बात कही, नौकरियां देने का वादा किया, लेकिन वह पूरा नहीं हो पाया. विदेशों में छिपा काला धन लाने की भी बात कही थी, जो संभव नहीं हो सका. उन्होंने पीओके लेने का दावा किया था, वह भी अधूरा रहा. GST सुधारों को लेकर भी केवल आश्वासन ही मिलेगा, दीपावाली तक उसको भी देख लेते हैं. दुबे ने कहा कि Prime Minister लंबे भाषण के दौरान बातें अच्छी करते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उनके वादों का असर दिखाई नहीं देता.
–
एएसएच/जीकेटी