New Delhi, 16 अगस्त . पूर्व सांसद राकेश सिन्हा ने India के विभाजन के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार मानते हुए कहा कि उस समय अगर जिन्ना और माउंटबेटन के सामने कांग्रेस ने सरेंडर ना किया होता तो विभाजन नहीं होता.
दरअसल, एनसीईआरटी ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर विशेष मॉड्यूल जारी किया, जिसमें देश के विभाजन के लिए तीन लोगों को जिम्मेदार ठहराया गया.
एनसीईआरटी के इस मॉड्यूल पर राजनीति भी तेज हो गई है. विपक्ष का दावा है कि इतिहास में पीछे जाने से कुछ भी हासिल नहीं होगा; बल्कि, वर्तमान की परिस्थितियों पर Government को ध्यान देना चाहिए.
एनसीईआरटी के विशेष मॉड्यूल पर पूर्व सांसद राकेश सिन्हा ने Saturday को से बातचीत में कहा कि विभाजन में माउंटबेटन की बड़ी भूमिका थी. जिन्ना अलगाववादी नेता के तौर पर उभर कर आए जो Pakistan की मांग कर रहे थे. कांग्रेस ने दोनों के सामने सरेंडर किया.
पूर्व सांसद के अनुसार, अगर कांग्रेस तुष्टिकरण की नीति 1909 से जारी नहीं रखती तो शायद विभाजन की नौबत नहीं आती. कांग्रेस ने सांप्रदायिक ताकतों को कुचलने की जगह उनके साथ गले मिलने का काम किया. इसलिए सही है कि इस विभाजन के लिए तीन लोगों को जिम्मेदार ठहराया गया है.
पूर्व सांसद राकेश सिन्हा ने Prime Minister Narendra Modi के लाल किले से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तारीफ के जवाब में विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि आरएसएस की भूमिका स्वतंत्रता संग्राम और उसके बाद के सामाजिक कार्यों में अद्वितीय रही है. उन्होंने दावा किया कि संघ ने ब्रिटिश शासन को चुनौती देने में न केवल सविनय अवज्ञा आंदोलन में हिस्सा लिया, बल्कि क्रांतिकारियों को हर संभव सहायता भी प्रदान की.
सिन्हा का कहना है कि इतिहासकारों ने वैचारिक असहमति के कारण संघ के योगदान को नजरअंदाज किया. India की आजादी के बाद संघ ने दलितों, वंचितों और उपेक्षित क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किया. साथ ही पीढ़ी-दर-पीढ़ी हजारों लोगों को समाजसेवा के लिए प्रेरित किया.
संघ के 100 साल पूरे होने पर सिन्हा ने पीएम मोदी की प्रशंसा को उचित ठहराया, इसे संगठन की शताब्दी पर एक उपयुक्त अवसर बताया.
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डीकेएम/एएस