सज गई वृंदावन और मथुरा की कुंज गली, बांके बिहारी मंदिर में सिर्फ श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर होती है मंगला आरती

मथुरा, 16 अगस्त . पूरा देश Saturday को कृष्ण जन्मोत्सव के रंग में रंगा है. इस दिन भक्त पूरा दिन व्रत रखते हैं और रात को भगवान कृष्ण की आरती के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं. 16 अगस्त को वृंदावन और मथुरा सहित पूरे भारत में कृष्ण जन्माष्टमी की उमंग दिख रही है. वृंदावन में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन श्रद्धालुओं की काफी भीड़ होती है और यहां की जन्माष्टमी बहुत ही खास होती है.

भक्तजन रातभर बांकेबिहारी मंदिर में राधे-राधे और कृष्ण के मंत्रों का जाप करते हुए उनके जन्मदिन को मनाने का इंतजार करते हैं. कैसी होती है वृंदावन और मथुरा की जन्माष्टमी? क्या है इसका इतिहास और क्या है इसका पूरा कार्यक्रम? चलिए जानते हैं.

कृष्ण जन्माष्टमी के दिन जन्मभूमि मथुरा से लेकर वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर तक सभी मंदिरों को इस दिन फूलों और लाइटों से सजाया जाता था. इस दौरान सड़कों पर भक्तों की बहुत भीड़ देखने को मिलती है. भक्त भगवान कृष्ण की झांकियां और उनके जीवन से जुड़े नाट्य का मंचन करते हैं. जगह-जगह कीर्तन और गीता के पाठ का भी आयोजन होता है.

कहा जाता है कि मधुबन में भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ नृत्य किया था, वहां जन्माष्टमी की रात को कृष्ण जरूर आते हैं. वहां भी भक्तों की काफी भीड़ रहती है. हालांकि, शाम के बाद वहां पर श्रद्धालुओं के जाने की मनाही है. मधुबन को भी फूलों और रोशनी से सजाया जाता है.

बांके बिहारी मंदिर की मंगला आरती वृंदावन की जन्माष्टमी का मुख्य आकर्षण है. कहा जाता है कि साल में सिर्फ एक बार जन्माष्टमी को ही ये आरती की जाती है. इस साल 16 अगस्त 2025 को बांके बिहारी के दर्शन के लिए मध्यरात्रि को पट खुलेंगे. इसके बाद सुबह-सुबह 3:30 बजे मंगला आरती शुरू होती है और ये 5 बजे तक चलती है. इसके बाद बांके बिहारी जी को भोग लगाया जाता है.

मथुरा में द्वारकाधीश मंदिर और कृष्ण जन्मभूमि आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बन जाते हैं. यहां भी श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है. भक्त दिन भर भगवान कृष्ण के भजन-कीर्तन करते हैं. कृष्ण भक्ति में डूबे लोग खुशी से नाचते-गाते हैं. यहां का नजारा भक्ति और संगीत के अनूठे संगम जैसा होता है.

कृष्ण जन्माष्टमी 2025 मध्य रात्रि कार्यक्रम

रात 11:00 बजे: गणपति और नवग्रह पूजा

रात 11:55: फूलों और तुलसी के साथ सहस्र-अर्चना

रात 11:59: पर्दे खुलते हैं और बांके बिहारी की पहली झलक दिखाई जाती है.

12:00–12:10: प्राकट्य दर्शन और आरती

12:10–12:25: दूध, दही, घी, शहद से महाभिषेक

12:25–12:40: ठाकुर जी का जन्माभिषेक

12:45–12:50 पूर्वाह्न: श्रृंगार आरती

1:55–2:00: शयन आरती

3:30 पूर्वाह्न: मंगला आरती

सुबह 5:00 बजे: भोग लगाया जाता है और दर्शन सुबह 6:00 बजे तक होते हैं.

जेपी/केआर