बुनियादी बातों से ध्यान भटकाने के लिए घुसपैठ का उठाया जा मुद्दा: अधीर रंजन चौधरी

मुर्शिदाबाद, 15 अगस्त . कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने देश में बढ़ती घुसपैठ की समस्या को लेकर केंद्र Government पर तीखा हमला बोला है.

उन्होंने कहा कि घुसपैठिए दीमक की तरह India में घुस रहे हैं, और यह एक पुराना पैटर्न है जिसे बार-बार नए तरीके से उठाया जाता है. जब देश की जनता को नौकरी, कारोबार और आजीविका जैसे मूलभूत मुद्दों पर ध्यान चाहिए, तब Government घुसपैठ का मुद्दा उठाकर लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश करती है.

उन्होंने सवाल उठाया कि अगर घुसपैठ एक गंभीर समस्या है, तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है? कोई भी भारतीय नागरिक यह नहीं चाहता कि घुसपैठियों को देश में प्रवेश की अनुमति दी जाए.

उन्होंने केंद्र Government से पूछा कि घुसपैठियों को सीमा पर रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए? उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कोई भी विपक्षी दल या नागरिक यह नहीं कहता कि घुसपैठियों को देश में आने और उनकी मेजबानी करने की अनुमति दी जाए. फिर भी, घुसपैठ की समस्या बनी हुई है.

उन्होंने केंद्र Government की जिम्मेदारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि Government न तो घुसपैठ रोक पा रही है और न ही यह बता पा रही है कि देश में कितने घुसपैठिए मौजूद हैं.

अधीर रंजन चौधरी ने 1999 की एक घटना का जिक्र किया, जब वे पहली बार 13वीं Lok Sabha में सांसद बने थे. उन्होंने बताया कि उनका पहला सवाल अवैध रूप से India में रह रहे Pakistanी नागरिकों के बारे में था. उस समय तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी भी इस सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए थे. तब से लेकर आज तक घुसपैठ का मुद्दा संसद के अंदर और सड़कों पर बार-बार उठता रहा है, लेकिन इसका कोई ठोस समाधान नहीं निकला. इतनी मजबूत Government होने के बावजूद घुसपैठ की समस्या क्यों बरकरार है?

अधीर रंजन चौधरी ने सीएए और एनआरसी जैसे कानूनों का उल्लेख करते हुए कहा कि Government हर बार नए कानून बनाती है, लेकिन इनका उपयोग केवल चुनावी मौसम में जनता का ध्यान भटकाने के लिए किया जाता है.

उन्होंने चेतावनी दी कि अगले चुनाव में भी Government इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश करेगी, जबकि देश की जनता रोटी और रोजगार जैसे बुनियादी मुद्दों पर ध्यान चाहती है. Government ने घुसपैठ के मुद्दे को एक बार फिर उछालकर अगले चुनाव की शुरुआत कर दी है, लेकिन जनता अब इन हथकंडों को समझ चुकी है.

एकेएस/एएस