New Delhi, 14 अगस्त . India ने Thursday को हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (पीसीए) के हालिया फैसले को खारिज करते हुए कहा कि इसका कोई कानूनी आधार या महत्व नहीं है और यह India के पानी उपयोग के अधिकारों पर असर नहीं डालता. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा कि India ने कभी भी इस तथाकथित मध्यस्थता न्यायालय की वैधता, अधिकार-क्षेत्र या क्षमता को स्वीकार नहीं किया है.
उन्होंने कहा, “इसके निर्णय अधिकार-क्षेत्र से बाहर हैं, कानूनी रूप से शून्य हैं और India के जल उपयोग अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं डालते. Pakistan द्वारा तथाकथित फैसले का चयनित और भ्रामक हवाला भी India सख्ती से खारिज करता है.”
प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि Pakistan द्वारा लगातार प्रायोजित सीमा-पार आतंकवाद, जिसमें हाल का ‘निर्मम पहलगाम हमला’ भी शामिल है, इसके जवाब में India Government ने संप्रभु निर्णय के तहत सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को निलंबित कर दिया है.
विदेश मंत्रालय के अनुसार, India ने कभी भी इस तथाकथित मध्यस्थता न्यायालय के गठन को वैध नहीं माना और इसे संधि का गंभीर उल्लंघन बताया है. मंत्रालय ने कहा कि ऐसे किसी भी मंच की कार्यवाही और उसके फैसले अवैध और स्वतः शून्य हैं. संधि निलंबित रहने तक India अपने दायित्वों के पालन के लिए बाध्य नहीं है और कोई भी मध्यस्थता न्यायालय, विशेषकर यह अवैध रूप से गठित निकाय, India के संप्रभु अधिकारों की वैधता की जांच करने का अधिकार नहीं रखता.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस तथाकथित मध्यस्थता न्यायालय, जिसे Pakistan के इशारे पर गठित किया गया, ने जम्मू-कश्मीर स्थित किशनगंगा और राटले जलविद्युत परियोजनाओं पर अपनी ‘अधिकारिता’ से जुड़ा एक पूरक निर्णय जारी किया है. India ने इस पूरक फैसले को भी पूर्व के सभी फैसलों की तरह सिरे से खारिज कर दिया है.
मंत्रालय ने इस कदम को Pakistan की ओर से अंतरराष्ट्रीय मंचों का दुरुपयोग कर जिम्मेदारी से बचने का “एक और बेताब प्रयास” करार दिया और कहा कि Pakistan का यह रवैया उसकी दशकों पुरानी धोखाधड़ी और हेरफेर की नीति का हिस्सा है.
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डीएससी/