जन्मदिन विशेष: ‘वेक अप सिड’ से ‘वॉर 2’ तक, अयान मुखर्जी का रहा है शानदार फिल्मी सफर

New Delhi, 14 अगस्त . अयान मुखर्जी बॉलीवुड के सबसे प्रतिभाशाली निर्माता-निर्देशक हैं. उनकी फिल्मों में गीत-संगीत के साथ रोमांस का ऐसा कॉकटेल होता है कि दर्शक उसके दीवाने हो जाते हैं. फिल्मों में अपनी अनूठी कहानी कहने की शैली और सिनेमाई दृष्टिकोण के साथ, अयान ने कम समय में ही इंडस्ट्री में अपनी मजबूत पहचान बनाई है. ‘वेक अप सिड’ से लेकर ‘ब्रह्मास्त्र’ और अब ‘वॉर 2’ तक, उनका फिल्मी सफर प्रेरणादायक और उत्साहवर्धक रहा है.

15 अगस्त 1983 को कोलकाता में जन्मे अयान मुखर्जी का फिल्मों से गहरा नाता रहा है. उनके पिता, दिग्गज अभिनेता देब मुखर्जी थे, और इनकी दादी अशोक कुमार, किशोर कुमार की इकलौती बहन. काजोल और तनीषा इनकी चचेरी बहनें हैं.

अयान ने अपने करियर की शुरुआत बतौर सहायक निर्देशक आशुतोष गोवारिकर की ‘स्वदेश’ और करण जौहर की ‘कभी अलविदा ना कहना’ से की. इस दौरान उन्होंने कहानी कहने और निर्देशन की बारीकियां सीखीं, जो बाद में उनकी फिल्मों में साफ झलकती हैं.

‘वेक अप सिड’ फिल्म से अयान ने युवाओं का दिल जीतने का सिलसिला शुरू किया. 26 साल की उम्र में, उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘वेक अप सिड’ निर्देशित की. रणबीर कपूर और कोंकणा सेन शर्मा अभिनीत यह फिल्म एक युवा लड़के की आत्म-खोज की कहानी थी, जिसने अपनी सादगी और गहराई से दर्शकों का दिल जीत लिया. इस फिल्म ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफलता हासिल की, बल्कि अयान को एक होनहार निर्देशक के रूप में स्थापित किया.

2013 में रिलीज हुई ‘ये जवानी है दीवानी’ अयान की दूसरी ब्लॉकबस्टर थी. रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण की जोड़ी, खूबसूरत लोकेशन्स, और अयान की जीवंत कहानी कहने की शैली ने इसे युवाओं की पसंदीदा फिल्म बना दिया. इस फिल्म ने न केवल कमाई के रिकॉर्ड बनाए, बल्कि इसके गाने और डायलॉग्स आज भी लोगों की जुबां पर हैं.

अयान ने यशराज फिल्म्स के स्पाई यूनिवर्स की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘वॉर 2’ का निर्देशन किया है. ऋतिक रोशन और जूनियर एनटीआर फिल्म में मुख्य भूमिका में हैं. यह फिल्म उनकी अब तक की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है.

अयान की खासियत है कि वे कम फिल्में बनाते हैं, लेकिन हर फिल्म में कुछ नया और यादगार करने की कोशिश करते हैं. उनकी कहानियां न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि दर्शकों से भावनात्मक रूप से जुड़ती हैं. उनका सिनेमाई सफर न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी दिखाता है कि गुणवत्ता हमेशा मात्रा से ऊपर होती है.

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