New Delhi, 13 अगस्त . भारतीय जनता पार्टी के सांसद अनुराग ठाकुर ने ‘मतदाता सूची’ को लेकर विपक्ष के आरोपों पर पलटवार किया है. अनुराग ठाकुर ने दावा किया कि बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी हार देखकर कांग्रेस और उसके सहयोगी दल झूठे आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि आत्मचिंतन करने की बजाय कांग्रेस ने हर हार के बाद नया बहाना ढूंढने का काम किया.
Lok Sabha में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के चुनाव आयोग पर आरोपों के बाद भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा, “अगर किसी के नेतृत्व में 90 बार चुनाव हारने का रिकॉर्ड है, तो वह राहुल गांधी का नेतृत्व है. जब चुनाव हारते हैं, तो वे ईवीएम पर सवाल उठाते हैं या मतदाताओं को दोष देते हैं. पार्टी के भीतर भी राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाए जाते हैं.”
अनुराग ठाकुर बोले, “कांग्रेस ने पहले कहा कि ईवीएम मशीन के साथ हेराफेरी होती है, ईवीएम बैन करो, बैलेट पेपर लाओ. फिर कहा ईवीएम को रिमोटली हैक किया जा सकता है. फिर कहा वीवीपैट 100 प्रतिशत चेक सुनिश्चित करो. कांग्रेस ने आत्मचिंतन नहीं किया, लेकिन ईवीएम से लेकर संवैधानिक संस्थाओं तक पर आरोप लगाती रही. अब बिहार चुनाव हारता हुआ देख पहले ही विपक्षी दलों के साथ मिलकर झूठे आरोप लगाने में जुटी है.”
भाजपा सांसद ने कहा, “कुछ कांग्रेस के लोग कह रहे थे राहुल गांधी और विपक्ष के नेताओं ने बवंडर खड़ा किया, लेकिन यह बवंडर नहीं ‘ब्लंडर’ है. मैं राहुल गांधी को यही कहूंगा, धूल चेहरे पर थी और आप आईना साफ करते रहे.”
अनुराग ठाकुर ने आरोप लगाए कि कांग्रेस और सीपीआई ने मिलकर ‘वोट चोरी’ की दुकान चलाई थी. कांग्रेस और सीपीआई ने मिलकर संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को चुनावों में हराने का काम किया. इस चुनावी भ्रष्टाचार की नींव 1952 के पहले चुनाव से कांग्रेस ने रखी थी. 74,333 वोट खारिज किए गए थे, जबकि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर सिर्फ 14,561 वोट से हारे थे. कांग्रेस ने संविधान निर्माता और एक दलित नेता को पहले ही चुनाव में निपटाने का काम किया. चुनावों में धांधली करके कांग्रेस ने उन्हें हराया.
भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी से सवाल पूछा कि आपको किस बात का डर है? आप हलफनामा नहीं देते, सबूत नहीं देते, झूठे आरोप लगाते हैं और भाग जाते हैं. उन्होंने कहा, “चुनाव के दौरान भ्रम फैलाना आपका तरीका बन गया है. बार-बार सबूत देने के अनुरोध के बावजूद, आपने मतदाता सूची के मुद्दे को संवैधानिक संस्थाओं के सामने उठाने से परहेज किया. राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी ने इसका पालन नहीं किया.”
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