नई दिल्ली, 14 अप्रैल . भारतीय सेना के 821 जवानों को संयुक्त राष्ट्र पदक से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान उन्हें लेबनान में शांति और स्थिरता बनाए रखने में उनके अनुकरणीय योगदान के लिए दिया गया.
भारतीय सेना के जवानों की इस महत्वपूर्ण उपलब्धि का जश्न मनाते हुए लेबनान में मेडल डे परेड का आयोजन किया गया. लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल (यूएनआईएफआईएल) के तहत तैनात भारतीय बटालियन के लिए यह औपचारिक समारोह भारतीय शांति सैनिकों की सेवा और समर्पण को सम्मानित करने के लिए आयोजित किया गया था.
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में भारत सबसे बड़े सैनिक योगदानकर्ता देशों में से एक है. लेबनान में भारतीय सेना की उपलब्धियों के लिए आयोजित परेड का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कर्नल विकास श्योराण ने किया. उन्होंने सैन्य गरिमा और अनुशासन के साथ इस समारोह का संचालन कर भारतीय सेना के नेतृत्व की उच्च परंपराओं को दर्शाया.
इस भव्य आयोजन में कई विशिष्ट अतिथियों ने शिरकत की. इनमें लेबनान में भारत के राजदूत मोहम्मद नूर रहमान शेख, यूएनआईएफआईएल सेक्टर ईस्ट के कमांडर, और अनेक नागरिक तथा सैन्य प्रतिनिधि शामिल थे. साथ ही, आस-पास के गांवों के मेयर, लेबनानी सशस्त्र बल, स्टेट सिक्योरिटी, जनरल सिक्योरिटी, और स्थानीय समुदाय के प्रमुख पदाधिकारी भी उपस्थित रहे.
सेना के मुताबिक, मेडल डे परेड की परंपरा संयुक्त राष्ट्र द्वारा उन शांति सैनिकों को मान्यता देने के लिए शुरू की गई थी, जिन्होंने किसी यूएन मिशन क्षेत्र में लगातार कम से कम 90 दिन सेवा की हो. समय के साथ यह परेड वैश्विक शांति रक्षक समुदाय के बीच पेशेवर प्रतिबद्धता और साझे मूल्यों का प्रतीक बन चुकी है. यूएनआईएफआईएल में इसे गर्व और सम्मान के साथ मनाया जाता है, जो सहयोगी देशों और मेजबान राष्ट्र के बीच एकता और तालमेल को दर्शाता है.
सेना ने बताया कि आयोजन में स्थानीय नागरिक प्रतिनिधियों की मजबूत उपस्थिति दर्ज की गई. यह भारतीय बटालियन और लेबनानी समुदायों के बीच गहरे सहयोग, आपसी सम्मान और स्थायी संबंधों को दर्शाती है.
सेना के मुताबिक, यह वैश्विक शांति और कूटनीति के प्रति भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता का प्रमाण है. समारोह की विशेष झलकियों में एक उत्कृष्ट सैन्य परेड शामिल रही, जिसमें अनुशासन, तालमेल और प्रशिक्षण की ऊंचाई को दर्शाते हुए भारतीय सेना की विश्वव्यापी प्रतिष्ठा को और बल मिला.
यह परेड भारतीय सैन्य संस्कृति और निष्ठा का जीवंत प्रतीक रही. सेना का मानना है कि मेडल डे परेड केवल सम्मान का एक मंच ही नहीं था, बल्कि यह लेबनानी नागरिक प्रशासन, सुरक्षा विभागों और यूएनआईएफआईएल अधिकारियों के बीच संवाद और सहयोग को और मजबूत करने का भी अवसर बना. यूएनआईएफआईएल में भारत की भूमिका पेशेवर उत्कृष्टता, मानवीय संवेदनशीलता और नागरिक-सैन्य सहयोग के उच्च मानक स्थापित करती आ रही है.
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जीसीबी/एकेजे