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समालखा, 31 अक्टूबर . Haryana के समालखा में संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, जीटी रोड पर चल रहे 78वें वार्षिक निरंकारी संत समागम का भव्य दृश्य किसी अद्भुत आध्यात्मिक मेले से कम नहीं है. लगभग 650 एकड़ क्षेत्र में फैले इस समागम में 25 देशों से श्रद्धालु पहुंच चुके हैं और एक लाख सेवादार व्यवस्था में लगे हैं. इस दौरान 24 घंटे लंगर की महासेवा चल रही है.
समागम में अब तक 5 से 5.5 लाख श्रद्धालु और संत महात्मा पहुंच चुके हैं, जबकि आयोजकों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में यह संख्या 10 लाख तक पहुंच जाएगी.
समागम के सचिव जोगिंदर सुखीजा ने से विशेष बातचीत में बताया कि यह आयोजन मानवता और आत्ममंथन का संगम है. यहां हर व्यवस्था बखूबी चल रही है. छह विशाल लंगर, 22 कैंटीन, हॉस्पिटल, डिस्पेंसरी और हजारों शौचालयों के साथ पूरे परिसर में उत्कृष्ट प्रबंधन किया गया है.
उन्होंने आगे बताया कि करीब एक लाख सेवादल वॉलंटियर्स एनएच से लेकर रेलवे स्टेशन तक ड्यूटी पर तैनात हैं. यह सेवा किसी जाति, धर्म या देश की सीमाओं में नहीं बंधी है. विदेशी सेवादल भी भारतीय साथियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सेवा कर रहे हैं.
समागम का मुख्य विषय ‘आत्ममंथन’ रखा गया है. सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने मानवता के नाम संदेश देते हुए कहा कि हर व्यक्ति को अपने भीतर झांककर यह विचार करना चाहिए कि वह समाज और मानवता के उत्थान में कितना योगदान दे रहा है. आने वाले सत्रों में निरंकारी राजपिता भी इसी विषय पर प्रेरणादायक विचार साझा करेंगे.
सुखीजा ने बताया कि लगभग 25 देशों से 3,000 विदेशी श्रद्धालु समागम स्थल पर पहुंच चुके हैं और संख्या पांच हजार तक पहुंचने की संभावना है. सभी विदेशी सेवादल भी भारतीय वॉलंटियर्स के साथ सेवा में जुटे हुए हैं.
लंगर की व्यवस्था देख रहे सेवादार प्रदीप वर्मा ने बताया कि यहां लंगर 24 घंटे चलता रहता है. 10 बड़े कड़ाहों में दाल और चावल लगातार बनते रहते हैं, जबकि चपातियां रोटेशन में बनती रहती हैं. उन्होंने बताया कि प्रतिदिन 50 क्विंटल से अधिक आटा और 4 क्विंटल दाल और चावल प्रति कड़ाही उपयोग किए जाते हैं. रोटेशन में चलने वाले इन कड़ाहों से हर 24 घंटे में करीब 3 लाख फुल्के तैयार होते हैं.
सुखीजा ने बताया कि हमारे ग्राउंड में एक बार में 10,000 श्रद्धालु भोजन कर सकते हैं, और रोटेशन में यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है.”
लंगर सेवा में 300 से अधिक बहनें और 300 से अधिक भाई भोजन बनाने में लगे हुए हैं, जबकि 2,000 से अधिक सेवादार 3-3 घंटे की शिफ्टों में भोजन परोसने का कार्य कर रहे हैं. हर कोने में सेवादल की अनुशासित वर्दियां और सेवा का जज्बा नजर आता है. सचिव सुखीजा ने कहा कि सेवा में कोई भेदभाव नहीं है. हर कोई समान भाव से कंधे से कंधा मिलाकर सेवा दे रहा है, यही निरंकारी मिशन की असली पहचान है.
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एएसएच/डीकेपी