सारंगपुर में ऐतिहासिक पुष्प दोलोत्सव : रंगोत्सव में अध्यात्म और केसरिया के रंग में रंगे 75 हजार भक्त

नई दिल्ली, 22 अप्रैल . भगवान स्वामीनारायण ने वडताल, गढ़पुर, सारंगपुर, अहमदाबाद जैसे विभिन्न स्थानों पर पुष्प दोलोत्सव आयोजित करके गुजरात की धरा को पावन किया था. यह कार्यक्रम उनकी स्मृति में सारंगपुर में हर वर्ष मनाया जाता है. स्वामी महाराज हर वर्ष सारंगपुर में पुष्प दोलोत्सव का त्योहार धूमधाम से मनाते थे.

वह आशीर्वाद देते हुए कहते थे कि संसार के रंग में तो सभी रंगे हैं, लेकिन हमें भगवान के रंग में रंगना है. उसी परंपरा में, महंत स्वामी महाराज की उपस्थिति में, यह पुष्प दोलोत्सव भव्य रूप से मनाया गया, जिसमें देश-विदेश से 75 हजार भक्त पहुंचे. पूरे सारंगपुर गांव में इस दौरान आनंद का माहौल था.

सारंगपुर मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से इस दौरान भरा रहा. रंगोत्सव के अवसर पर सारंगपुर में विदेशी के साथ-साथ भारत के विभिन्न प्रांतों से भी श्रद्धालु उमड़े थे. इतनी बड़ी संख्या में आए श्रद्धालुओं की सेवा के लिए 30 सेवा विभागों में 8,000 स्वयंसेवक सेवा कर रहे थे. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अनेक स्थानों पर पूछताछ केंद्रों की व्यवस्था की गई थी. बी.ए.पी.एस. विद्यामंदिर परिसर में बडी संख्या में भक्त पहुंचे. जहां 10 लाख वर्ग फुट भूमि को साफ कर समतल किया गया और विशाल सभा भवन तैयार किया गया था.

पुष्प दोलोत्सव महोत्सव के लिए लगाए गए मंच के पीछे विशाल पृष्ठभूमि पर रॉबिन्सविल अक्षरधाम और अबू धाबी में बने भव्य हिन्दू मंदिर की प्रतिकृतियां सजी हुई थीं. इस दौरान संगठन की स्थापना में कार्यकर्ताओं के समर्पण और बलिदान को याद किया गया.

बाप्स के अंतरराष्ट्रीय संयोजक ईश्वरचरण स्वामी ने आगामी चुनाव में राष्ट्र के उत्थान और विकास के लिए प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य समझाकर मतदान करने का अनुरोध किया. पूज्य डॉ. स्वामी ने पुष्प दोलोत्सव उत्सव, जिसका केंद्रीय विषय ‘अंतर अक्षरधाम है’, पर हृदयस्पर्शी प्रवचन दिया.

महंत स्वामी महाराज ने रंगोत्सव पर्व पर आशीर्वाद देते हुए कहा, ‘हम सभी यहां दिव्य और भक्ति के रंगों में रंगने के लिए आए हैं. बाहरी रंग एक बार चढ़ता है और फिर उतर जाता है, लेकिन यह रंग एक बार चढ़ता है और फिर उतरता नहीं है. दिव्यता के रंग में रंगना और भगवान की प्राप्ति के बारे में नित्य विचार करना चाहिए.

जीकेटी/