73 प्रतिशत भारतीय कंपनियां जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करने की बना रही योजना : रिपोर्ट

नई दिल्ली, 8 जुलाई . सोमवार को जारी एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि लगभग 73 प्रतिशत भारतीय कंपनिया सुरक्षा उपायों को बढ़ाने के लिए अगले 12 महीनों के भीतर जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जेनएआई) का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं.

हालांकि, एक्सपोज़र मैनेजमेंट कंपनी टेनेबल के अनुसार, केवल 8 प्रतिशत कंपनियों ने जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रौद्योगिकियों को प्रभावी ढंग से लागू करने में अपना विश्वास दिखाया है.

टेनेबल एपीजे के सीनियर वीपी निगेल एनजी ने कहा, “एआई के आने के बाद भी, कई भारतीय कंपनियां अभी भी अपनी प्रौद्योगिकी परिपक्वता विकसित कर रहे हैं. क्योंकि अक्सर एआई को ठीक से बनाने के साथ इसके लिए लोगों को प्रशिक्षित करने और इसे लागू करने के साथ-साथ इसके डेटा प्रबंधन के उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए आवश्यक संसाधनों या कौशल की कमी होती है.”

रिपोर्ट अक्टूबर 2023 में 826 आईटी और साइबर सुरक्षा पेशेवरों के साथ 52 उत्तरदाताओं पर आधारित है, जिनसे यह सर्वेक्षण किया गया है.

इसके अलावा, रिपोर्ट ने भारतीय संगठनों को एआई प्रौद्योगिकियों के उपयोग में बाधा डालने वाली दो प्रमुख चुनौतियों की पहचान की जिसमें तकनीकी परिपक्वता की कमी (71 प्रतिशत) और उनके संचालन के भीतर एआई की उपयोगिता के बारे में अनिश्चितता (54 प्रतिशत) नजर आई.

रिपोर्ट में उजागर की गई चिंता का एक पहलू यह था कि 40 प्रतिशत भारतीय संगठनों के बीच जेनएआई को एक अवसर से ज्यादा सुरक्षा के लिए खतरा माना गया था.

जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आंतरिक दुरुपयोग एक बड़ी चिंता के रूप में उभरा, जिसमें 67 प्रतिशत ने अपने संगठनों के भीतर संभावित दुरुपयोग के बारे में चिंता व्यक्त की. इसके अतिरिक्त, 60 प्रतिशत ने कहा कि ओपन-सोर्स जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को संवेदनशील डेटा प्रदान करने से उन्हें बौद्धिक संपदा की चोरी का खतरा है.

एआई प्रौद्योगिकियों को अपनाने में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, भारत में साइबर सुरक्षा और आईटी लीडर्स जेनएआई के संभावित लाभों को लेकर आशावादी थे.

रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 31 प्रतिशत का मानना ​​है कि जेनएआई खतरे के विरुद्ध लड़ने की क्षमता को बढ़ा सकता है, 42 प्रतिशत का मानना ​​है कि यह सुरक्षा उपायों को स्वचालित कर सकता है और 40 प्रतिशत का मानना ​​है कि यह खतरे के खिलाफ कार्रवाई करने की क्षमता में सुधार कर सकता है.

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