गाजियाबाद, 26 मई . राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) द्वारा स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए मेरठ साउथ नमो भारत स्टेशन की छत पर 717 किलोवाट पीक क्षमता का रूफटॉप सोलर पावर प्लांट स्थापित किया गया है.
यह पहल एनसीआरटीसी के स्टेशनों, डिपो और सब-स्टेशनों को सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्रों में बदलने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है. इस संयंत्र में कुल 1,304 सोलर पैनल लगाए गए हैं, जिनमें प्रत्येक की क्षमता 550 वाट पीक है. यह सोलर संयंत्र अनुमानित तौर पर प्रति वर्ष 8,15,000 यूनिट स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन करेगा. इससे सालाना लगभग 750 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आने की उम्मीद है.
इससे पहले साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई और दुहाई डिपो सहित मुरादनगर एवं गाजियाबाद आरएसएस में पहले से ही सौर ऊर्जा संयंत्र संचालित हो रहे हैं. अब मेरठ साउथ स्टेशन का नाम भी इस हरित पहल में जुड़ गया है. एनसीआरटीसी का लक्ष्य है कि दिल्ली-मेरठ नमो भारत कॉरिडोर के 82 किलोमीटर लंबे रूट पर कुल 11 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन किया जाए, जिससे हर वर्ष 11,500 टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी लाई जा सके.
वर्तमान में इस कॉरिडोर के संचालित खंड से 4.7 मेगावाट पीक इन-हाउस सौर ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है, जिससे सालाना 4,900 टन से अधिक कार्बन उत्सर्जन कम किया जा रहा है. गाजियाबाद स्टेशन पर लगा सौर संयंत्र अब तक का सबसे उच्च क्षमता वाला संयंत्र है, जिसकी इंस्टॉल्ड कैपेसिटी 965 किलोवाट पीक है. अन्य स्टेशनों पर भी सोलर पावर प्लांट की स्थापना कार्य प्रगति पर है.
एनसीआरटीसी के सौर ऊर्जा के प्रति इस समर्पण को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिली है. साहिबाबाद और गुलधर नमो भारत स्टेशनों को प्रतिष्ठित आईजीबीसी नेट-जीरो एनर्जी (ऑपरेशंस) रेटिंग से सम्मानित किया गया है. यह देश के किसी भी स्टेशन को मिली पहली ऐसी मान्यता है.
सौर ऊर्जा के साथ-साथ एनसीआरटीसी रेन वाटर हार्वेस्टिंग, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, हरित क्षेत्र, एलईडी बल्बों और प्राकृतिक रोशनी जैसी टिकाऊ उपायों को भी अपनाकर अपने स्टेशनों को ‘कार्बन न्यूट्रल’ बनाने में जुटा है. साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई और मेरठ साउथ जैसे स्टेशन पूर्णतः सौर ऊर्जा से संचालित हो रहे हैं.
इसके अतिरिक्त, एनसीआरटीसी द्वारा संचालित नमो भारत ट्रेनें अत्याधुनिक रीजेनेरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम से लैस हैं, जो ब्रेकिंग के दौरान उत्पन्न ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती हैं. इससे ऊर्जा की बचत के साथ-साथ ट्रेन के रखरखाव में आने वाली लागत में भी भारी कमी आती है.
फिलहाल, दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर का 55 किलोमीटर लंबा खंड न्यू अशोक नगर से मेरठ साउथ तक संचालन में है, जिसमें कुल 11 स्टेशन शामिल हैं. एनसीआरटीसी की यह हरित पहल न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर है, बल्कि यह राष्ट्रीय सौर मिशन के उद्देश्यों को भी मजबूती प्रदान करती है.
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पीकेटी/एबीएम