आंध्र प्रदेश मुठभेड़ में शीर्ष कमांडर समेत 6 माओवादी ढेर

विशाखापत्तनम, 18 नवंबर . आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामाराजू जिले में Tuesday को आंध्र-Odisha सीमा क्षेत्र में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में शीर्ष माओवादी कमांडर माडवी हिडमा समेत छह माओवादी मारे गए.

यह मुठभेड़ मारेडुमिली वन क्षेत्र में उस समय हुई जब छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और Odisha की Police और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान माओवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद तलाशी अभियान में लगे हुए थे. मुठभेड़ में मारे गए माओवादियों में शीर्ष माओवादी कमांडर और भाकपा (माओवादी) केंद्रीय समिति के सदस्य माडवी हिडमा के भी शामिल होने की खबर है.

माओवादी विरोधी अभियानों में उनकी हत्या को सुरक्षा बलों की एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है. सुरक्षा बलों ने अभी तक हिडमा की मौत की पुष्टि नहीं की है, जो Police और अर्धसैनिक बलों पर 26 सशस्त्र हमलों के पीछे था.

Police सूत्रों के अनुसार, यह गोलीबारी उस समय हुई जब सुरक्षा बलों ने माओवादियों के एक समूह को घेर लिया और उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए कहा. इसके बाद, माओवादियों ने कथित तौर पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिससे सुरक्षाकर्मियों को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी. सुरक्षा बल कुछ माओवादियों की तलाश में अभियान जारी रखे हुए थे, जिनके जंगलों में गहरे भाग जाने का संदेह था.

यह मुठभेड़ आंध्र प्रदेश, Odisha और छत्तीसगढ़ के त्रि-जंक्शन बिंदु के पास हुई.

हिडमा को India में सबसे वांछित माओवादी कमांडर माना जाता था. 43 वर्षीय हिडमा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) बटालियन की बटालियन संख्या एक का प्रमुख है, जिसे सबसे घातक माओवादी हमला इकाई कहा जाता है.

50 लाख रुपए का इनामी हिडमा, भाकपा (माओवादी) केंद्रीय समिति में छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र का एकमात्र आदिवासी था. उसे 2010 में दंतेवाड़ा में केंद्रीय रिजर्व Police बल (सीआरपीएफ) के 76 जवानों के नरसंहार का मास्टरमाइंड बताया गया था. यह India में सुरक्षा बलों पर माओवादियों द्वारा किया गया सबसे घातक हमला था.

उस पर 2013 में छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी में शीर्ष कांग्रेस नेताओं सहित 27 लोगों की हत्या में शामिल होने का भी संदेह था. हिडमा को 2021 में छत्तीसगढ़ के सुकमा में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 22 जवानों की हत्या का मास्टरमाइंड भी माना जाता है.

शीर्ष माओवादी कमांडर की हत्या छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों की कई सफलताओं के बाद हुई है.

यह मुठभेड़ प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के लिए आंध्र-Odisha सीमा क्षेत्र में फिर से संगठित होने के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई, जिसे कभी माओवादी गतिविधियों का गढ़ माना जाता था.

पीएसके