नई दिल्ली, 7 फरवरी . भारत में 6 से 29 जनवरी के बीच 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से ह्यूमन मेटाप्न्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के कुल 59 मामले सामने आए हैं. यह एक सांस से जुड़ी बीमारी है. यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने शुक्रवार को दी.
लोकसभा में एक लिखित जवाब में जाधव ने बताया कि इस वायरस पर नजर रखने और इसके फैलाव को रोकने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं.
उन्होंने बताया कि 6 जनवरी से राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकालीन संचालन केंद्र को सक्रिय किया गया है, जो एचएमपीवी के मामलों की नियमित निगरानी कर रहा है.
प्रतापराव जाधव ने कहा कि देश में पहले से ही एक मजबूत निगरानी प्रणाली है, जो फ्लू जैसी बीमारियों और गंभीर सांस संबंधी बीमारियों (एसएआरआई) पर नजर रखती है. यह भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) के तहत काम करती है.
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सतर्क रहने और अस्पताल में भर्ती मरीजों के सैंपल जांच के लिए वायरस अनुसंधान और डायग्नोस्टिक प्रयोगशालाओं (वीआरडीएलएस) में भेजने की सलाह दी गई है.
जाधव ने बताया कि आईडीएसपी के आंकड़ों के अनुसार, देश में आईएलआई और एसएआरआई मामलों में कोई असामान्य वृद्धि नहीं देखी गई है. यह आईसीएमआर की निगरानी से भी पुष्टि हुई है.
सरकार ने देशभर में एक तैयारी अभ्यास (ड्रिल) भी कराया, जिससे यह सुनिश्चित किया गया कि स्वास्थ्य प्रणाली सांस की मौसमी बीमारियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है. इसके अलावा, राज्यों को सलाह दी गई है कि वे एचएमपीवी के लक्षणों और बचाव के तरीकों के बारे में जागरूकता अभियान चलाएं.
एचएमपीवी को पहली बार 2001 में खोजा गया था. यह वायरस प्न्यूमोविरिडे फैमिली का हिस्सा है और आरएसवी वायरस से जुड़ा हुआ है. इस संक्रमण के आम लक्षणों में खांसी, बुखार, नाक बंद होना और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने संक्रमण से बचाव के लिए सरल उपाय बताए हैं, जैसे – साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोना, बिना धोए हाथों से आंख, नाक और मुंह न छूना, संक्रमित व्यक्ति के नजदीक जाने से बचना, खांसते या छींकते समय मुंह और नाक ढंकना आदि.
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