लखनऊ, 11 फरवरी . इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री के आंकड़ों से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में हर दूसरे पुरुष रोगी में कैंसर का कारण तंबाकू है.
आंकड़ों से पता चलता है कि पुरुषों में होने वाले 53 प्रतिशत से अधिक कैंसर तंबाकू से जुड़े हैं.
महिलाओं के लिए यह आंकड़ा लगभग 15 प्रतिशत है, जबकि राज्य का औसत 37.5 प्रतिशत है.
आईसीएमआर की रिपोर्ट ने संकेत दिया कि इनमें से अधिकतर कैंसर मुँह, फेफड़े और अन्य ऊपरी श्वसन तंत्र से संबंधित हैं.
अधिकांश मरीज उन्नत चरणों में चिकित्सा केंद्रों तक पहुंचते हैं जहां उपचारात्मक उपचारों के विकल्प सीमित हो जाते हैं.
एसजीपीजीआईएमएस के रेडियोथेरेपी और मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के विशेषज्ञों ने ‘बीमारी को दूर रखने के लिए आत्म-संयम’ की आवश्यकता पर जोर दिया.
सीनियर फैकल्टी पुनिता लाल ने कहा, “आत्म-संयम अपनाना और खुद को तंबाकू से दूर रखना सबसे आसान और सबसे प्रभावी निवारक रणनीति है जिसे कोई भी अपना सकता है.”
उत्तर प्रदेश में हर साल कैंसर के अनुमानित 2.1 लाख मामले सामने आते हैं, जो भारतीय राज्यों में सबसे ज्यादा है.
सामान्य तौर पर, पुरुषों में सबसे आम कैंसर मुंह (20.4 प्रतिशत) में था जबकि महिलाओं में स्तन कैंसर (23.9 प्रतिशत) सबसे आम था.
यूपी में कैंसर रोगियों की मृत्यु दर (सभी श्रेणियों में) लगभग 55 प्रतिशत है.
एक अन्य कैंसर विशेषज्ञ शालीन कुमार ने कहा कि 2024 का विषय ‘देखभाल अंतर को बंद करें’ था, जबकि निदेशक प्रोफेसर आर.के. धीमान ने बताया कि कैंसर रोगियों की देखभाल में अंतर एक वैश्विक चिंता है जिसके तत्काल निवारण की आवश्यकता है.
कुमार ने कहा, “प्रत्येक कैंसर रोगी को अपने सामाजिक स्तर की परवाह किए बिना अच्छी समग्र देखभाल का अधिकार है. प्रत्येक रोगी के लिए इस लक्ष्य को सुनिश्चित करने के लिए, डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं को प्रत्येक रोगी की विशिष्ट आवश्यकताओं को पहचानना, स्वीकार करना और संबोधित करना होगा.”
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