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मध्य प्रदेश में पोषण आहार में 500 करोड़ का घोटाला, कांग्रेस पहुंची लोकायुक्त

भोपाल, 28 अगस्त . ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट में मध्य प्रदेश के आठ जिलों में करीब 500 करोड़ रुपए का पोषण आहार घोटाला होने की बात सामने आई थी. इसमें संदेह के घेरे में मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सीईओ ललित मोहन बेलवाल हैं.

जिसे लेकर कांग्रेस ने लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराई है. राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में पारस सकलेचा द्वारा लोकायुक्त में की गई शिकायत के आधार पर कहा, वर्तमान में राज्य के मुख्य सचिव इकबाल सिंह 2014 में मुख्यमंत्री के सचिव बने और 2017 के बाद उन्होंने बेलवाल को अपना सीईओ बनाकर उनको रूरल डेवलपमेंट के दूसरे डिपार्टमेंट के अंतर्गत ट्रांसफर कराया. यह व्यवस्था 2018 तक चलती रही.

2018 में बेलवाल रिटायर हो गए और दिसंबर में सरकार बदल गई. कमलनाथ की सरकार बनी और उनको जब इसमें हुए भ्रष्टाचार की जानकारी मिली तो उन्होंने अपने कार्यकाल में एग्रो कारपोरेशन के अंतर्गत सात फैक्ट्री को वापस एमपी एग्रो को ट्रांसफर किया, जहां से यह काम वर्षों से होता आ रहा था.

तंखा ने कहा कि मार्च 2020 में कमलनाथ की सरकार चली गई और शिवराज की सरकार आ गई. एक दिन बाद इकबाल सिंह मुख्य सचिव बन जाते हैं. कुछ दिन बाद बेलवाल कांट्रैक्ट पर वापस आ जाते हैं और कुछ दिन बाद वह सात फैक्टरी भी रूरल डेवलपमेंट में वापस आ जाती है.

विवेक तंखा ने कहा कि मध्य प्रदेश अकाउंटेंट जनरल की रिपोर्ट आई, आज उस रिपोर्ट के सारांश हमने लोकायुक्त के सामने रखे हैं. उसमें राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में 500 करोड़ का फेक प्रोडक्शन, फेक डिस्ट्रीब्यूशन और फेक परिवहन किया गया. स्कूटर, ऑटो और कार के नंबर से राशन का परिवहन किया गया.

अकाउंटेंट जनरल ने सैंपल आधार पर यह जांच की थी और कहा था कि इस मामले की स्वतंत्र निकाय से जांच करवाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. लेकिन. राज्य सरकार ने इस संबंध में किसी प्रकार की जांच करवाने के लिए कोई पहल नहीं की.

उन्होंने कहा कि मामले की स्वतंत्र जांच के लिए इन दोनों अधिकारियों को उनके पद से तत्काल हटाया जाना अत्यंत आवश्यक है. लोकायुक्त में की गई शिकायत में कहा गया है कि मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, सीईओ एलएम. बेलवाल और अन्य संवैधानिक, शासकीय और निजी क्षेत्र के लाभार्थियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए जो इस बड़े पैमाने पर किए गए भ्रष्टाचार में शामिल थे.

उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट आदेश हैं कि इस तरह के मामले में एफआईआर दर्ज होनी चाहिए और सभी संबंधित दस्तावेज जब्त करके तत्काल जांच शुरू कराई जानी चाहिए.

तंखा ने कोर्ट जाने के सवाल पर कहा कि सब कुछ करेंगे, मगर अपने समय से करेंगे, यह मामला भारत के लोकतंत्र और मप्र के लोकायुक्त संगठन की स्वतंत्रता की परीक्षा का है, वे जो करेंगे न्यायोचित करेंगे. हमने लोकायुक्त में शिकायत की है और लोकायुक्त को इस मामले को देखना है.

नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश के समस्त भ्रष्टाचार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सीधा संरक्षण प्राप्त है. मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार की गंगा, राजधानी भोपाल के एक श्यामला हिल्स से निकल रही है. वहीं से गंदगी है तो नीचे सफाई नहीं हो सकती.

एसएनपी

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