सावन विशेष : अद्भुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय… दुर्गम चोटियों पर बसे 5 धाम, जहां साक्षात स्वरूप में विराजते हैं महादेव

New Delhi, 4 अगस्त . देवों के देव महादेव को प्रिय सावन का महीना जारी है. देश-दुनिया के कुछ मंदिरों के अलावा ऐसी पवित्र जगह भी हैं, जहां महादेव अपने गण के साथ निवास करते हैं. इनमें से सबसे खास हैं ‘पंच कैलाश’. इन पांच शिखरों पर अध्यात्म, रहस्य और रोमांच एक-दूसरे से मिलते हैं. इनमें तिब्बत में कैलाश मानसरोवर, उत्तराखंड में आदि कैलाश, Himachal Pradesh में मणि महेश, किन्नौर कैलाश और श्रीखंड महादेव हैं.

कैलाश पर्वतमाला में स्थित कैलाश मानसरोवर हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों के लिए पवित्र है. 6,638 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह शिखर भगवान शिव का निवास माना जाता है.

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यहां शिव अपने परिवार के साथ विराजमान हैं. कैलाश की परिक्रमा, जिसे ‘कोरा’ कहा जाता है, मोक्ष और सौभाग्य का प्रतीक है. पास ही स्थित मानसरोवर झील की शांति और पवित्रता तीर्थयात्रियों को आत्मिक सुख प्रदान करती है. हर साल लाखों भक्त इस कठिन यात्रा को पूरा करने के लिए भारत, नेपाल और चीन की सीमाओं को पार करते हैं.

विदेश मंत्रालय कैलाश यात्रा का आयोजन प्रत्येक वर्ष जून से सितंबर के दौरान दो अलग-अलग मार्गों, लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) और नाथू ला दर्रा (सिक्किम) के माध्यम से करता है.

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में 5,945 मीटर की ऊंचाई पर स्थित आदि कैलाश को ‘छोटा कैलाश’ भी कहा जाता है. यह शिखर अपनी सुंदरता और कैलाश मानसरोवर से समानता के लिए प्रसिद्ध है. किंवदंती है कि यहीं भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था.

एक अन्य कथा के अनुसार, पांडवों ने महाभारत युद्ध से पहले यहां दर्शन किए थे. आदि कैलाश के पास गौरी कुंड और पार्वती सरोवर हैं, जहां भक्त ध्यान और पूजा में लीन हो जाते हैं. काठगोदाम से शुरू होने वाली यह यात्रा रोमांच और भक्ति का अनूठा संगम है. यहां पर छोटी परंतु सुंदर झील को पार्वती ताल कहा जाता है.

Himachal Pradesh के कुल्लू में 5,227 मीटर की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव शिखर भगवान शिव और पार्वती का निवास माना जाता है. इसकी चोटी पर 75 फुट ऊंचा स्वयंभू शिवलिंग हर भक्त को मंत्रमुग्ध कर देता है. पौराणिक कथा के अनुसार, भस्मासुर ने जब शिव को भस्म करने की कोशिश की, तब महादेव ने यहां शरण ली. बाद में भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार में भस्मासुर को नष्ट किया. श्रीखंड की यात्रा जौन गांव से शुरू होती है, जो बेहद चुनौतीपूर्ण और साहसिक है.

Himachal Pradesh के किन्नौर जिले में 6,050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित किन्नौर कैलाश भी शिव और पार्वती का पवित्र धाम है. इस शिखर पर मौजूद शिवलिंग दिन में कई बार रंग बदलता है, जो इसे अनूठा बनाता है. सतलुज नदी के किनारे बसे इस शिखर के पास पार्वती कुंड है, जिसे माता पार्वती ने बनाया था. हिंदू और बौद्ध दोनों इस स्थान को पूजनीय मानते हैं. कठिन रास्तों और खूबसूरती के बीच यह यात्रा भक्तों के लिए अविस्मरणीय अनुभव है.

Himachal Pradesh के चंबा जिले में 5,653 मीटर की ऊंचाई पर मणिमहेश कैलाश, जिसे ‘चंबा कैलाश’ भी कहते हैं, भगवान शिव का एक और पवित्र धाम है. मणिमहेश झील के ऊपर स्थित शिखर पर चट्टानी शिवलिंग बर्फ से ढका रहता है. कथा है कि यहां शिव ने तपस्या की थी. यात्रा शुरू करने से पहले भक्त भरमौर के भरमाणी माता मंदिर में दर्शन करते हैं. इस शिखर पर कोई चढ़ाई सफल नहीं हुई, क्योंकि इसे शिव का पवित्र निवास माना जाता है.

आज तक कैलाश पर्वत की चोटी पर कोई भी नहीं चढ़ सका है. किंवदंती है कि एक बार एक गद्दी ने भेड़ के झुंड के साथ पहाड़ पर चढ़ने की कोशिश की. माना जाता है कि वह अपनी भेड़ों के साथ पत्थर में बदल गया. माना जाता है कि प्रमुख चोटी के नीचे छोटी चोटियों की श्रृंखला चरवाहा और उसके झुंड के अवशेष हैं.

एक और किंवदंती के अनुसार सांप ने भी इस चोटी पर चढ़ने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहा और पत्थर में बदल गया. यह भी माना जाता है कि भक्तों द्वारा कैलाश की चोटी केवल तभी देखी जा सकती है, जब भगवान प्रसन्न होते हैं. मणिमहेश झील के एक कोने में शिव की एक संगमरमर की छवि है, जिसकी श्रद्धालु पूजा करते हैं और झील की परिधि के चारों ओर तीन बार परिक्रमा करते हैं.

एमटी/एबीएम