लखनऊ, 21 अक्टूबर . मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना प्रदेश के आर्थिक रूप से कमजोर एवं वंचित वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए वरदान साबित हो रही है. अंत्योदय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को साकार करते हुए सीएम योगी गरीब बच्चों के अफसर बनने के सपने को हकीकत में बदल रहे हैं. इस योजना के जरिए निःशुल्क कोचिंग की सुविधा का लाभ उठाकर अब तक 46 अभ्यर्थी लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा पास कर अफसर बन चुके हैं, जबकि 121 अभ्यर्थी यूपीपीसीएस की परीक्षा पास कर अधिकारी बने हैं.
राज्य के 75 जिलों में संचालित 156 केंद्रों से अब तक 82,209 अभ्यर्थियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है. इनमें से लगभग 700 अभ्यर्थी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हो चुके हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 16 फरवरी 2021 को बसंत पंचमी के अवसर पर मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना की शुरुआत की थी. यह योजना गरीब और वंचित परिवारों के बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ते हुए उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है. अपने शुरुआत से ही यह योजना प्रतियोगी परीक्षा के अभ्यर्थियों के बीच तेजी से लोकप्रियता हासिल की है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह दूरदर्शी पहल राज्य के वंचित और गरीब वर्ग के छात्र-छात्राओं को एक नई दिशा देने का काम कर रही है. इस योजना के माध्यम से छात्रों को नि:शुल्क कोचिंग, उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. यह योजना राज्य के छात्रों को एक सशक्त और उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर करती है, और उन्हें आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देती है.
सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि यूपी सरकार इस योजना को राज्य के 75 जनपदों में सफलतापूर्वक संचालित कर रही है, जहां 156 केंद्र संचालित हो रहे हैं. मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना का कार्यान्वयन उत्तर प्रदेश सरकार की कड़ी निगरानी में किया जा रहा है. इसकी मॉनिटरिंग के लिए लखनऊ में अलग से अभ्युदय सचिवालय स्थापित किया गया है, जहां से प्रतिदिन इन सभी कोचिंग सेंटरों के संचालन की पूरी व्यवस्था की देखरेख की जा रही है. इसमें सबसे ज्यादा 11 केंद्र लखनऊ में संचालित हैं, जबकि कौशांबी में 6, गोरखपुर में 5, वाराणसी और बहराइच में 4 केंद्रों का संचालन किया जा रहा है. अ
भ्युदय योजना के सह प्रभारी पवन कुमार यादव ने बताया कि इस योजना के माध्यम से अब तक 82,209 से अधिक अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है. इस योजना की लोकप्रियता का ही नतीजा है कि वर्ष 2021 से अब तक साल दर साल इसमें छात्रों की संख्या में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. 2021-22 में 6,000 अभ्यर्थी, 2022-23 में 25,380 अभ्यर्थी, 2023-24 में 27,634 अभ्यर्थी, 2024-25 में अब तक 23,195 अभ्यर्थियों ने नामांकन कराया है.
समाज कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश के निदेशक कुमार प्रशांत ने बताया कि अभ्युदय योजना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी योजना है. इसका मुख्य उद्देश्य राज्य के उन छात्रों को लाभान्वित करना है, जो आर्थिक तंगी के कारण महंगी कोचिंग सेवाओं का खर्च नहीं उठा सकते. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के अंतर्गत, छात्रों को सिविल सेवा (आईएएस आईपीएस,आईआरएस) प्रांतीय सिविल सेवा ( पीसीएस), संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई), राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट), राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) और संयुक्त रक्षा सेवा (सीडीएस) जैसी विभिन्न प्रतिष्ठित परीक्षाओं की तैयारी के लिए नि:शुल्क कोचिंग प्रदान की जाती है. इस पहल का एक मुख्य लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य का कोई भी प्रतिभाशाली छात्र आर्थिक बाधाओं के कारण अपने सपनों को छोड़ने पर मजबूर न हो.
मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के तहत छात्रों को उनके स्वयं के जिले में ही कोचिंग की सुविधा दी जाती है, इससे उन्हें अपने घर से दूर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती. इस योजना में विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता वाले सिलेबस, प्रश्न बैंक और डिजिटल सामग्री प्रदान की जाती है. इसके अलावा, आवश्यकता पड़ने पर ऑफलाइन कक्षाओं की भी व्यवस्था की जाती है.
2024-25 में यूपीएससी/यूपीपीसीएस में 10,510 अभ्यर्थी, नीट में 5,778 अभ्यर्थी, जेईई में 2,033 अभ्यर्थी, एनडीए/सीडीएस में 816 अभ्यर्थी और अन्य कोर्स में 4,060 अभ्यर्थी पंजीकरण का चुके हैं.
इस योजना के जरिए महज दो वर्षों में 46 अभ्यर्थियों का यूपीएससी में चयन हो हो चुका है और तीन साल में 121 अभ्यर्थी यूपीपीएससी के जरिए अधिकारी बने हैं. इसके अलावा 55 अभ्यर्थी लेखपाल की परीक्षा में सफल होकर राज्य सरकार के अंतर्गत अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वहीं 2024 में नीट में 86 और जेईई में 35 अभ्यर्थियों ने सफलता हासिल की है. प्रदेश के सभी केंद्रों पर प्रशिक्षण के लिए 1783 शिक्षकों को इम्पैनल्ड किया गया है, जो विद्यार्थियों को उनके विषय के अनुसार बेहतर प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं. इसके अलावा राज्य में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारी भी इन अभ्यर्थियों का मार्गदर्शन करते हैं.
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