शिव की नगरी काशी से भगवान कृष्ण के लिए 3 हजार किलो का घंटा भेजा गया

वाराणसी, 22 मई . शिव की नगरी काशी से भगवान कृष्ण के लिए घंटा भेजा गया है. पीतल समेत तमाम धातुओं से बना 3 हजार किलो का घंटा नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करेगा. काशी में निर्मित घंटा को बनाने में 15 महीने से ज्यादा का समय लगा है.

घंटे में मयूर, अमृत कलश, कमल पुष्प समेत सनातनी संकेत बने हुए हैं. भारी भरकम घंटे को मथुरा रवाना करने से पहले काशी में पूरे मंत्रोच्चार और शंखनाद के साथ पूजन किया गया.

श्री गुरु कार्ष्णि विद्या भवन के मैनेजिंग ट्रस्टी ब्रिजेशानंद सरस्वती ने पत्रकारों को बताया कि श्री उदासीन कार्ष्णि आश्रम रमण रेड्डी धाम महावन मथुरा में यह तीन हजार किलो का घंटा स्थापित किया जाएगा.

यह घंटा वाराणसी श्री गुरु कार्ष्णि विद्या भवन से कानपुर होते हुए, मथुरा होते हुए श्री रमण रेड्डी धाम पहुंचेगा. घंटा की विशेषता के बारे में उन्होंने बताया कि इसका शब्द (आवाज) जहां तक जाएगा, वहां तक नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाएंगी और देवताओं का आगमन होगा, भगवान का आगमन होगा.

इसे बजाने के लिए एक मशीन लगाई जाएगी. सरोवर के पास एक स्तंभ बनाया गया है, स्तंभ के ऊपर इसे स्थापित किया जाएगा. सुबह-शाम आरती के समय इसे मशीन से बजाया जाएगा.

घंटे को बनाने के पीछे के उद्देश्य के बारे में उन्होंने बताया कि भगवान का अच्छे से पूजन हो जाए और दूर-दूर तक लोगों को आरती की घंटी का आवाज जाए. इसलिए इसको बनाया गया. यह घंटा पीतल के अलावा अन्य धातुओं से बनाया गया है. इसका वजन 3 हजार किलोग्राम है. इसे बनाने में करीब 15 महीने का समय लगा. सात से आठ कारीगरों ने इसे मिलकर बनाया है.

पत्रकार ने सवाल किया कि घंटा बनाने के लिए काशी ही क्यों चुना गया, जबकि पूरे भारत में अन्य धार्मिक स्थान भी हैं? इस पर उन्होंने कहा कि काशी में घंटा बनाने के लिए अच्छे कारीगर मिलते हैं.

वहीं घंटा कारीगर प्रताप विश्वकर्मा ने बताया कि इसे बनाने में 15 महीने से ज्यादा का समय लगा है. इसमें लगातार 10 कारीगर लगे. लेकिन बीच-बीच में 30 से लेकर 50 कारीगर भी लगे. घंटे का वजन 3 हजार किलो से ऊपर है. इसकी आवाज बहुत शानदार है.

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