25 जुलाई : ऐसी तारीख, जो राष्ट्रपति शपथ के लिए बनी लोकतंत्र की अनौपचारिक परंपरा

New Delhi, 24 जुलाई . India के इतिहास में 25 जुलाई का दिन कई दशकों से एक स्थिर लोकतांत्रिक परंपरा का प्रतीक है. भारतीय संविधान में यह कहीं नहीं लिखा गया है कि President को 25 जुलाई को ही शपथ लेना है, लेकिन अब तक 10 Presidentयों ने 25 जुलाई को ही पद की शपथ ली है. इसी कारण यह तारीख एक स्थिर लोकतांत्रिक परंपरा का दिन बन चुका है.

यह सिलसिला 1977 से चला आ रहा है. हालांकि, इसके पीछे मुख्य कारण President का पूर्ण कार्यकाल है. India के छठे President के रूप में नीलम संजीव रेड्डी ने 25 जुलाई 1977 को शपथ ली थी. 1997 में फखरुद्दीन अली अहमद का President पद पर रहते निधन हुआ था. वे दूसरे President थे, जो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. उनके निधन के बाद बीडी जत्ती (बासप्पा दनप्पा जत्ती) 11 फरवरी 1977 को कार्यवाहक President बने, लेकिन उनका कार्यकाल बहुत छोटा रहा.

लगभग 5 महीने बाद चुनाव कराने पड़े और नीलम संजीव रेड्डी नए President चुने गए, जिन्होंने 25 जुलाई को शपथ ली. नीलम संजीव रेड्डी के बाद से हर President ने अपने कार्यकाल के 5 साल पूरे किए हैं. चूंकि 25 जुलाई को नीलम संजीव रेड्डी ने शपथ ली थी, इसलिए हर अगला चुनाव भी ऐसी योजना से होता है कि नए President 25 जुलाई को हीं शपथ लें.

25 जुलाई को शपथ लेने वाले President नीलम संजीव रेड्डी, ज्ञानी जैल सिंह, आर. वेंकटरमन, डॉ. शंकर दयाल शर्मा, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल, प्रणब मुखर्जी, रामनाथ कोविंद और द्रौपदी मुर्मू हैं.

यही कारण है कि हर बार चुनाव पूर्ण होने पर President 25 जुलाई को शपथ लेते हैं. इससे यह भी स्पष्ट होता है कि India के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर कभी भी शून्यता नहीं आई और हर पांच साल बाद नया President बिना किसी अंतराल के शपथ लेता रहा है.

अगर कोई President कार्यकाल के बीच में इस्तीफा दे या निधन हो जाए, तो यह परंपरा बाधित हो सकती है. लेकिन 1977 से अब तक ऐसा नहीं हुआ और यही कारण है कि 25 जुलाई अब President शपथ के लिए लोकतंत्र की अनौपचारिक परंपरा बन चुकी है.

डीसीएच/जीकेटी