नई दिल्ली, 3 अक्टूबर . भारत में टेक्नोलॉजी से जुड़ी नौकरियों की मांग में बीते 12 महीनों में 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इसी के साथ अगले 24 महीनों में यह मांग 22 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है. गुरुवार को आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई.
ग्लोबल टेक्नोलॉजी एंड डिजिटल टैलेंट सॉल्यूशंस प्रोवाइडर एनएलीबी सर्विसेज के मुताबिक, आर्थिक मंदी के बाद यह आईटी टैलेंट इकोसिस्टम में 39 प्रतिशत के सकारात्मक बदलाव को दर्शाता है.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में वैश्विक क्षमता केंद्र के नेतृत्व वाली भर्ती अगले तीन वर्षों में सालाना आधार पर 15 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है. कंपनियां में एआई और मशीन लर्निंग जैसे फील्ड उभरने के साथ टेक्नोलॉजी भूमिकाएं तेजी सी बढ़ रही हैं. यही वजह है कि स्किल्ड टैलेंट की मांग बढ़ी है.
एनएलबी सर्विसेज के सीई सचिन अलुग का कहना है, ”बीते कुछ वर्षों में आईटी सेक्टर में सुस्त पड़े हायरिंग एनवायरमेंट के बावजूद टेक्नोलॉजी से जुड़ी कुछ भूमिकाओं की मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इस मांग में बढ़ोतरी की वजह इंडस्ट्री 4.0 पर ध्यान केंद्रित किया जाना है, जिसमें लोकल मैन्युफैक्चरिंग, एआई अपनाने और कोरोना महामारी के बाद डिजिटल परिवर्तन शामिल है.”
इस साल आईटी सिक्योरिटी स्पेशलिस्ट, सेल्सफोर्स डेवलपर्स, साइट रिलायबिलिटी इंजीनियर्स, क्लाउड इंजीनियर्स, डेटा एनालिस्ट और मशीन लर्निंग इंजीनियर्स जैसी नौकरियों की अधिक मांग है. वर्ष 2025 में भारत में सीनियर टेक भूमिकाएं जैसे चीफ एआई ऑफिसर, क्वांटम कम्प्यूटिंग ऑफिसर, डेटा एथिक्स ऑफिसर और साइबर सिक्योरिटी ऑफिसर की मांग बढ़ने की उम्मीद की जा रही है.
आने वाले समय में आईटी का विस्तार केवल बड़े हब जैसे बेंगलुरू, गुरुग्राम और हैदराबाद तक सीमित नहीं रह जाएगा. चेन्नई, अहमदाबाद, पुणे और कोयंबटूर जैसे शहरों में मैन्युफैक्चरिंग, फिनटेक और ई-कॉमर्स जैसी इंडस्ट्री में जीसीसी बढ़ रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, इन क्षेत्रों को चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है. खासकर स्किल्ड टैलेंट को लेकर मांग और आपूर्ति के बीच अंतर को कम करना एक बड़ी चुनौती है. इन चुनौतियों से निपटने के लिए देश की कंपनियां डेटा साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और अन्य उभरते क्षेत्रों में अपने कर्मचारियों को बेहतर कौशल प्रदान करने के लिए निवेश कर रही हैं.
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एसकेटी/एबीएम