प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से जुड़े 2.58 करोड़ कारीगर : एनएसडीसी

नई दिल्ली, 4 नवंबर . केंद्र सरकार द्वारा बढ़ई, राजमिस्त्री और दर्जी जैसे पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरों के उत्थान के लिए लाई गई पीएम विश्वकर्मा योजना ने काफी प्रगति की है और अब तक 2.58 करोड़ आवेदन जमा किए गए हैं.

राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़ों के अनुसार, इनमें से 23.75 लाख आवेदकों को तीन चरण की वेरिफिकेशन प्रक्रिया के बाद योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए सफलतापूर्वक रजिस्टर किया गया है.

इस योजना के तहत करीब 10 लाख लोगों को अपने व्यवसाय के लिए आधुनिक उपकरण खरीदने के लिए ई-वाउचर के माध्यम से 15,000 रुपये तक के टूलकिट प्रोत्साहन मिले हैं.

इस साल 29 जुलाई तक, 56,526 आवेदनों को 551.80 करोड़ रुपये के कुल ऋण स्वीकृत किए गए हैं. ऋण पर 5 प्रतिशत ब्याज दर है, जिसे सरकार सब्सिडी देती है.

भारत सरकार 8 प्रतिशत ब्याज अनुदान प्रदान करती है, जिससे कुल ऋण लागत कम हो जाती है. ऋण की पहली किस्त 18 महीने में तथा दूसरी किस्त 30 महीने में चुकाई जा सकती है.

बीते साल 17 सितंबर को पीएम विश्वकर्मा योजना की शुरुआत की गई थी. इस योजना का उद्देश्य 18 व्यवसायों के कारीगरों और शिल्पकारों को उनके हाथों और औजारों से काम करने में सहायता प्रदान करना है.

इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को उद्यमी और आत्मनिर्भर बनने में मदद करना है.

देश के 26 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत कारीगरों और शिल्पकारों के पारंपरिक कौशल को अपग्रेड और मॉर्डन बनाने के लिए बेसिक स्किल ट्रेनिंग के रूप में फॉर्मल ट्रेनिंग शुरू की गई है.

इस योजना के तहत पीएम विश्वकर्मा प्रमाणपत्र और आईडी कार्ड, स्किल अपग्रेडेशन, टूलकिट प्रोत्साहन, ऋण सहायता, डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन और मार्केटिंग सहायता प्रदान की जाती है.

उम्मीद है कि इस योजना से कारीगरों और शिल्पकारों के लिए आजीविका के अवसर पैदा होंगे, उनके कौशल में वृद्धि होगी और उनके काम में आधुनिक उपकरण और तकनीक को लाया जा सकेगा. इसके अलावा, उन्हें घरेलू और वैश्विक बाजारों से जुड़ने के अवसर मिलेंगे.

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