New Delhi, 20 अगस्त . राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक बस कार्यक्रम (एनईबीपी) के तहत भारत में अब 14,329 इलेक्ट्रिक बसें सड़कों पर चल रही हैं, यह जानकारी Wednesday को सरकार द्वारा संसद को दी गई.
सरकार ने “पीएम-ई-बस सेवा” और “पीएम ई-ड्राइव” जैसी कई योजनाएं शुरू की हैं, जो इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं.
इस महीने की शुरुआत में, केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक बसों, एम्बुलेंस और ट्रकों के लिए पीएम ई-ड्राइव योजना को दो साल के लिए बढ़ाकर मार्च 2028 कर दिया.
केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, यह योजना अब मार्च 2026 के बजाय मार्च 2028 में समाप्त होगी.
अधिसूचना के अनुसार, इस योजना के लिए निधि आवंटन को 10,900 करोड़ रुपए पर बरकरार रखा गया है और योजना के तहत कोई अतिरिक्त आवंटन नहीं किया जाएगा. इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए प्रोत्साहन मार्च 2026 तक समाप्त हो जाएंगे.
जुलाई में, सरकार ने पीएम ई-ड्राइव पहल के तहत इलेक्ट्रिक ट्रकों (ई-ट्रकों) के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करने के उद्देश्य से एक बड़ी योजना शुरू की थी, जिसमें प्रति वाहन अधिकतम प्रोत्साहन 9.6 लाख रुपए निर्धारित किया गया था.
यह पहली बार है जब सरकार इलेक्ट्रिक ट्रकों के लिए प्रत्यक्ष समर्थन प्रदान कर रही है, जिसका उद्देश्य देश में स्वच्छ, कुशल और टिकाऊ माल ढुलाई की ओर ट्रांजिशन को गति प्रदान करना है.
इस योजना से देश भर में लगभग 5,600 इलेक्ट्रिक ट्रकों की खरीद को समर्थन मिलने की उम्मीद है.
इसके अलावा, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में बताया, “राज्य परिवहन निगम सहायता के लिए संबंधित विभागों को प्रस्ताव भेज सकते हैं. पिछले पांच वर्षों में तमिलनाडु राज्य परिवहन निगम को वित्तीय सहायता के रूप में कोई धनराशि आवंटित नहीं की गई है.”
वहीं, नीति आयोग ने कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (सीईएसएल) से 50,000 ई-बसों की मांग एकत्रीकरण के लिए कार्यक्रम प्रबंधक की भूमिका निभाने का अनुरोध किया है.
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एबीएस/