नई दिल्ली, 16 दिसंबर . 16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली के इतिहास में एक काली तारीख के रूप में दर्ज है. राष्ट्रीय राजधानी में चलती बस में ‘निर्भया’ (बदला हुआ नाम) के साथ दरिंदगी की सारी हदें पार की गई थीं. दिल्ली के वसंत विहार स्थित मुनिरका बस स्टैंड पर महिलाओं ने महिलाओं की सुरक्षा पर प्रतिक्रिया दी.
वसंत विहार में मुनिरका बस स्टैंड पर मौजूद नीतू ने से बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि निर्भया कांड को 12 साल हो गए हैं, लेकिन अभी लगता नहीं कि महिलाएं सुरक्षित हैं. हम शाम के समय घर से बाहर निकलने पर खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते. महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए.
अर्पिता ने कहा कि महिलाएं अभी सुरक्षित नहीं हैं. जो महिलाएं डॉक्टरी पेशे में हैं, वो भी सुरक्षित नहीं हैं. निर्भया कांड को तो 12 साल हो गए, लेकिन अब भी रोड और बस स्टैंड सुरक्षित नहीं हैं. बस स्टैंड पर लड़कियां अकेले खड़ी नहीं हो सकतीं. इस समय सर्दी है, कई बार स्टैंड पर बसें बहुत देरी से आती हैं. इस सर्दी के मौसम में सेफ महसूस करना दूर की बात है. घर से बाहर निकलने पर डर सा लगा रहता है. जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते, परिजन भी चिंतित रहते हैं.
एक अन्य महिला कालिंदी ने कहा कि शाम को अकेले यात्रा करना बहुत मुश्किल होता है. यहां पर रात में बहुत ज्यादा असुरक्षा है. रात में अभी भी लड़कियों को डर लगता है. सरकार को महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर ठोस कदम उठाना चाहिए.
बता दें कि 16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली के इतिहास में एक काली तारीख के रूप में दर्ज है. यहां चलती बस में 23 साल की एक छात्रा के साथ बर्बर सामूहिक बलात्कार किया गया था. निर्भया (बदला हुआ नाम) और उसके दोस्त को एक-एक कर रोड पर फेंक दिया गया था. निर्भया के साथ इस दरिंदगी ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई थी.
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एफजेड/