वीवीएमसी घोटाले मामले में ईडी की रेड, मुंबई में बैंक बैलेंस-फिक्स्ड डिपॉजिट के 12.71 करोड़ फ्रीज

Mumbai , 3 जुलाई . प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 1 जुलाई को जयेश मेहता और अन्य (वीवीएमसी घोटाले) के मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के प्रावधानों के तहत Mumbai भर में 16 स्थानों पर छापे मारे.

छापेमारी के दौरान ईडी ने बैंक बैलेंस, फिक्स्ड डिपॉजिट, म्यूचुअल फंड में लगभग 12.71 करोड़ रुपए फ्रीज किए और 26 लाख रुपए की नकदी के अलावा बड़ी संख्या में आपत्तिजनक दस्तावेज एवं डिवाइस जब्त किए.

जांच एजेंसी ने मीरा भायंदर पुलिस आयुक्तालय की ओर से बिल्डरों, स्थानीय गुर्गों और अन्य के खिलाफ दर्ज कई First Information Report के आधार पर जांच शुरू की. यह मामला 2009 से ‘वसई विरार नगर निगम (वीवीएमसी)’ के अधिकार क्षेत्र में सरकारी और निजी भूमि पर आवासीय सह वाणिज्यिक भवनों के अवैध निर्माण से संबंधित है.

वसई विरार शहर की स्वीकृत विकास योजना के अनुसार, ‘सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट’ और ‘डंपिंग ग्राउंड’ के लिए आरक्षित भूमि पर समय-समय पर 41 अवैध इमारतों का निर्माण किया गया. आरोपी बिल्डरों और डेवलपर्स ने इन जमीनों पर अनधिकृत इमारतें बनाकर और फर्जी अनुमोदन दस्तावेज तैयार कर जनता को धोखा दिया. यह जानते हुए भी कि ये इमारतें अवैध थीं और अंत में ध्वस्त हो जाएंगी. डेवलपर्स ने इन इमारतों में फ्लैट बेचकर लोगों को गुमराह किया और इस तरह गंभीर धोखाधड़ी की.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने 8 जुलाई 2024 को इन 41 इमारतों को ध्वस्त करने का आदेश दिया. इसके बाद 41 अवैध इमारतों में रहने वाले परिवारों ने Supreme court में हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी, जिसे खारिज कर दिया गया. वीवीएमसी ने 20 फरवरी 2025 तक सभी 41 इमारतों को ध्वस्त कर दिया.

ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि आर्किटेक्ट्स, चार्टर्ड अकाउंटेंट, लाइजनर्स और वीवीएमसी अधिकारियों का एक बड़ा गिरोह आपस में मिलकर अवैध निर्माण को अंजाम दे रहा था. छापेमारी के दौरान जब्त डिजिटल डिवाइस से वीवीएमसी अधिकारियों की संलिप्तता, भ्रष्टाचार और काले धन के प्रवाह का पता चला. पहले की रेड में 8.68 करोड़ रुपए नकद, 1.5 लाख रुपए और 23.25 करोड़ रुपए मूल्य के हीरे जड़ित आभूषण तथा बुलियन जब्त किए गए थे. ईडी की जांच अभी जारी है.

एएसएच/एकेजे