दिल्ली में 10 मिनट की बारिश से पूरा इलाका तालाब बन जाता है : संदीप दीक्षित

नई दिल्ली, 20 सितंबर . एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार और एमसीडी को बारिश में जलजमाव पर फटकार लगाई थी. एलजी की प्रतिक्रिया पर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने चुटकी ली है. उन्होंने कहा है कि इस समय दिल्ली की स्थिति यह है कि एक बारिश में पूरा इलाका तालाब बन जाता है.

उन्होंने से बात करते हुए कहा कि मैं बहुत आश्चर्यचकित हूं कि एलजी को दिल्ली के लोगों की समस्याएं अभी दिखाई पड़ीं. हमें तो पिछले कई सालों से यह समस्याएं दिखाई पड़ रही हैं. लेकिन, उन्होंने जो बात रेखांकित की है, वह महत्वपूर्ण है. दिल्ली में आज शायद ही कोई ऐसा इलाका बचा होगा चाहे न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी हो या पुरानी ऑथराइज्ड कॉलोनियां, जिन्हें कांग्रेस सरकार ने रेगुलराइज किया था, चाहे सरकारी कॉलोनी हो, अगर आज पांच मिनट भी बारिश हो जाए तो हर जगह पानी भर जाता है. इलाके में तालाब बन जाता है. वह तालाब केवल पानी के नहीं होते हैं बल्कि उनमें सीवर का बैक फ्लो होता है.

उन्होंने कहा कि राज्य में पीने और सीवर के पानी कब आपस में मिल जाते हैं, पता ही नहीं चलता. दिल्लीवासियों का जीवन नारकीय हो गया है. शहर का सामान्य विकास या कहें जो लोगों को सरकार की तरफ से सामान्य सुविधाएं मिलती हैं, उसमें बिजली, पानी, सड़क, सीवर, साफ हवा, कूड़े की सफाई जैसी कुछ चीजें होती हैं. ऐसा माना जाता है कि यह चीजें मूलत: केवल सरकार देती है. उन सब में केजरीवाल सरकार निम्नतम स्तर पर आ गई है.

उन्होंने 22 सितंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर आम आदमी पार्टी के जनता दरबार पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल पिछले दस साल से राज्य के मुख्यमंत्री थे तब से वह क्या कर रहे थे. सारे विधायक आपके हैं. कॉरपोरेटर सारे आपके हैं. 10 साल में आप आम जनता से संवाद नहीं कर पाए. कुछ नहीं, यह राजनीतिक मीटिंग है. चुनाव सामने आ रहे हैं, आम आदमी पार्टी की हालत खराब है. इसलिए, यह जो बड़े-बड़े शब्द हैं ‘जनता की अदालत’, उनका प्रयोग किया जा रहा है.

उन्होंने यह भी कहा कि आप सरकार में हो. आप सामान्य पार्टी नहीं हो. आपकी पार्टी के मुख्यमंत्री हैं. आपके कैबिनेट मंत्री हैं. आपके विधायक हैं. आपके कॉरपोरेटर हैं. आपके मेयर हैं. आप वह काम करें, जिसके लिए जनता ने चुनकर भेजा है. आपको समझ नहीं है, दिल्ली की जनता क्या चाहती है? यह इस बात को सीधे-सीधे दर्शाता है कि ना ही जनता से इनका कोई संवाद है और ना ही जनता की भावनाओं की इनको समझ है. इन लोगों ने फ्री की चीजें बांटकर जनता को लुभा लिया था. लेकिन, अब जनता इनसे ऊब गई है.

पीएसएम/एबीएम