लंदन . दुनियाभर के वैज्ञानिकों का मानना है, कि मंगल ग्रह पर करोड़ों साल पहले जीवन रहा होगा. इसके सबूत भी मिले हैं. हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मार्स क्यूरियोसिटी रोवर ने बताया था कि मंगल ग्रह पर बाढ़ आई थी. वहां सूक्ष्म जीवों के होने के कुछ सबूत भी मिले हैं. मंगल ग्रह पर धरती के कौन से जीव रह सकते हैं, इस लेकर शोधकर्ताओं ने एक स्टडी की है. उन्होंने बताया कि धरती पर मिलने वाले चार प्रजातियों के जीव मंगल ग्रह पर रह सकते हैं.
मंगल ग्रह पर रहना बेहद मुश्किल है. वहां बेहद कम दबाव का वायुमंडल है. साथ ही वातावरण और मौसम बेहद असुरक्षित और तेजी से बदलने वाला है. ऐसी स्थिति में धरती पर रहने वाले जीवों का वहां रहना मुश्किल है. लेकिन धरती पर मौजूद चार प्रजातियों के माइक्रो-ऑर्गेनिज्म यानी सूक्ष्म जीव वहां रहने लायक हैं. शोधकर्ताओं ने बताया है कि धरती पर मौजूद किस तरह के जीव मंगल ग्रह पर रह सकते हैं. धरती के जो जीव मंगल ग्रह पर रह सकते हैं उन्हें मीथैनोजेंस कहते हैं. ये बेहद प्राचीन सूक्ष्म जीव हैं, जो किसी भी तरह के कम दबाव वाले वातावरण में रहने योग्य होते हैं. इन्हें ऑक्सीजन की जरूरत नहीं होती. ये बुरे से बुरे वातारण में रह सकते हैं.
धरती पर मीथैनोजेंस गीली जगहों पर, समुद्र में यहां तक जानवरों के पाचन नली में भी पाए जाते हैं. ये हाइड्रोजन और कार्बन डाईऑक्साइड खाते हैं, मल की जगह मीथेन गैस निकालते हैं. नासा के कई मिशन से ये बात स्पष्ट हुई है कि मंगल ग्रह के वायुमंडल में मीथेन गैस प्रचुर मात्रा में है. हालांकि ये पता नहीं चल पाया है कि वहां पर इतना मीथेन कहां से पैदा हो रहा है. शोधकर्ताओं ने बताया कि, मंगल ग्रह पर मीथेन गैस है. या तो वहां कई करोड़ साल पहले मौजूद जीवों से निकली है. या फिर आज भी वहीं पर इसतरह के जीव हैं, जो मीथेन के जरिए जीवित हैं. जो चार मीथैनोजेंस मंगल ग्रह पर जी सकते हैं, वहां हैं मीथैनोथर्मोबैक्टर वोल्फी, मीथैनोसार्सिना बारकेरी, मीथैनोबैक्टीरियम फॉर्मिसिकम और मीथैनोकोकस मारिपालुडिस. ये सभी मीथैनोजेन्स बिना ऑक्सीजन के रह सकते हैं.